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एमनेस्टी इंटरनेशनल का रुख दुर्भाग्यपूर्ण और बयान सच्चाई से बहुत दूर है: भारत सरकार

Updated Sep 29, 2020 | 20:05 IST

Amnesty International: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपनी सभी गतिविधियों को रोक दिया है। इस पर भारत सरकार ने कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल का रूख और उसके बयान दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से दूर हैं।

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एमनेस्टी इंटरनेशनल
मुख्य बातें
  • एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में गतिविधि रोकने की घोषणा की
  • भारत सरकार ने बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया है: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
  • सरकार ने कहा है कि एमनेस्टी को अवैध रूप से विदेशी धन प्राप्त हो रहा है

नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि वह भारत में अपनी सभी गतिविधियों को रोक रहा है क्योंकि उसके खातों को फ्रीज कर दिया गया है। इसके साथ ही उसने दावा किया कि उसको निराधार और प्रेरित आरोपों को लेकर लगातार निशाना बनाया जा रहा है। अब इस पर भारत सरकार ने अपना पक्ष रखा है। गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, 'एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा लिया गया स्टैंड और दिया गया बयान दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से बहुत दूर है।'

एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के तहत केवल एक बार और वह भी 20 साल पहले अनुमति मिली थी। तब से एमनेस्टी इंटरनेशनल को एफसीआरए की मंजूरी से वंचित कर दिया गया क्योंकि यह ऐसी मंजूरी पाने के योग्य नहीं है। हालांकि, एफसीआरए नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी यूके भारत में पंजीकृत चार इकाइयों से बड़ी मात्रा में धनराशि ले चुकी है और इसका वर्गीकरण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रूप में किया गया। इसके अलावा एमनेस्टी को एफसीआरए के अंतर्गत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना बड़ी मात्रा में विदेशी धन प्रेषित किया गया। दुर्भावना से गलत रूट से धन लेकर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।

बयान में आगे कहा गया, 'एमनेस्टी इन अवैध कार्यों के चलते पिछली सरकार ने विदेशों से फंड प्राप्त करने के लिए एमनेस्टी के बार-बार आने वाले आवेदनों को भी खारिज कर दिया था। इस कारण पहले भी एमनेस्टी के भारतीय परिचालन को निलंबित कर दिया गया था। एमनेस्टी भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जिस तरह से अन्य संगठन कर रहे हैं। हालांकि, भारत के कानून विदेशी चंदे से वित्तपोषित इकाइयों को घरेलू राजनीतिक बहस में दखल देने की अनुमति नहीं देते हैं। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और इसी तरह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।

भारत मुक्त प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और जीवंत घरेलू बहस के साथ संपन्न और बहुलतावादी लोकतांत्रिक संस्कृति वाला देश है। भारत के लोगों ने वर्तमान सरकार में अभूतपूर्व भरोसा दिखाया है। स्थानीय कानूनों के पालन में विफल रहने से एमनेस्टी को भारत के लोकतांत्रिक और बहुलतावादी स्वभाव पर टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।

बीजेपी भी हमलावर

वहीं बीजेपी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, 'एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (NGO) है जो मानव अधिकार के क्षेत्र में काम करती है जिसका मुख्यालय लंदन में है। आज उन्होंने घोषणा की कि वो भारत में अपना कार्य रोक रहे हैं क्योंकि भारत सरकार ने उनके बैंक खातों पर रोक लगा दी है उनका कहना है कि मानव अधिकार की उनकी रिपोर्ट के लिए भारत सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। ये सभी बातें सच्चाई से कोसो दूर हैं, भारत में कार्यरत कोई भी संस्था चाहे वो भारतीय हो यो विदेशी, अगर विदेश से धन लेना है तो भारत के कानूनों का पालन करना पड़ेगा।'

उन्होंने कहा कि 2009 में एमनेस्टी इंटरनेशनल के लाइसेंस को विदेशी धन प्राप्त करने के लिए यूपीए सरकार द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था और उनके कार्यों को निलंबित कर दिया गया था। कोई भी संगठन भारत में कार्य कर सकता है, लेकिन यह उनके कानूनी दायरे में होना चाहिए।

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