- अंतरधार्मिक विवाह पर केंद्र द्वारा कानून लाए जाने का प्रस्ताव नहीं
- इंटर फेथ मैरिज का विषय राज्य सरकार के अधीन
नई दिल्ली। हाल ही में जिस तरह से अंतरधार्मिक विवाह या बलात शादी के संबंध में जिस तरह से यूपी के बाद मध्य प्रदेश ने कानून बनाया है उस विषय पर तमाम दलों ने आपत्ति जताई तो कुछ ऐसे संगठन भी थे जिनकी मांग था कि इस विषय पर केंद्रीय कानून बनाए जाने की जरूरत है। लेकिन मंगलवार को सरकार ने संसद में साफ कर दिया कि इस विषय पर केंद्रीय कानून लाने की प्रस्ताव नहीं है। धार्मिक रूपांतरण से संबंध अपराधों की रोकथाम, पता लगाना, पंजीकरण, जांच और अभियोजन मुख्य रूप से राज्य सरकार की चिंताएं हैं। गृहमंत्रालय ने इस संबंध में संसद को जानकारी दी।
विपक्ष का सवाल
क्या सरकार का विचार है कि अंतरजातीय विवाह होते हैंजबरदस्ती रूपांतरणों के कारण; यदि हां, तो क्या इसके द्वारा पर्याप्त सबूत एकत्र किए गए हैं। जबरन धर्म परिवर्तन की वजह से जो शादियां हुई हैं, क्या उससे संबंधी आंकड़े सरकार के पास है। यदि मजबूर धार्मिक रूपांतरण के उदाहरण यदि हां, तो उससे संबंधी ब्यौरा क्या है। क्या सरकार का इरादा केंद्रीय विरोधी रूपांतरण का प्रस्ताव करना है। इंटरफेथ विवाहों पर अंकुश लगाने के लिए कानून यदि हां, तो ऐसा पेश करने के लिए प्रस्तावित तारीख सहित विवरण क्या है।
सरकार का जवाब
गृह राज्य मंत्री जी किसन रेड्डी ने कहा कि माननीय सदस्य के सवाल का जवाब यह है कि ए से लेकर सी तक का विषय सातवीं अनुसूची के मुताबिक राज्य सरकार की है। इसलिए रोकथाम, पता लगाना,धार्मिक से संबंधित अपराधों का पंजीकरण, जांच और अभियोजनरूपांतरण मुख्य रूप से राज्य सरकारों / संघ की चिंताएँ हैं मौजूदा कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाती हैकानून लागू करने वाली एजेंसियां जब भी उल्लंघन की सूचना देती हैं।