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हैदरपोरा एनकाउंटर: फारूक अब्दुल्ला ने SIT जांच पर उठाए सवाल, महबूबा मुफ्ती ने कहा- हमें चुप कराने की कोशिश सफल नहीं होगी

Updated Dec 30, 2021 | 16:59 IST

हैदरपुरा एनकाउंटर की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि पुलिस की रिपोर्ट गलत है। 

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हैदरपुरा एनकाउंटर की जांच पर महबूबा मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला ने सवाल उठाए

श्रीनगर : हैदरपुरा एनकाउंटर की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने सवाल उठाए हैं। एसआईटी ने नेताओं को जांच के संबंध में अटकलबाजी करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसपर नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। महबूबा ने कहा कि दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी देकर हमें चुप कराने की कोशिश सफल नहीं होगी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मेरा मानना है कि पुलिस की रिपोर्ट गलत है। पुलिस ने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया है। पुलिस ने उन्हें मार डाला और इसमें कोई शक नहीं है। मेरा मानना है कि न्यायिक जांच होनी चाहिए।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने एक ट्वीट में कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा एसआईटी जांच के बारे में की गई टिप्पणी अटकलबाजी नहीं है। ये जमीनी तथ्य हैं। सच्चाई के सामने आने से प्रशासन की नाराजगी और असहजता जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि दंडात्मक कार्रवाई की चेतवानी से हमें चुप कराने की कोशिश काम नहीं आएगी। 

बुधवार को, एसआईटी ने एक बयान में कहा था कि नेताओं की अटकलबाजी लोगों में या समाज के एक खास तबके में उकसावे, अफवाह, भय की स्थिति पैदा कर सकती है और इस तरह की चीजें कानून व्यवस्था के खिलाफ हैं तथा इस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

हैदरपोरा एनकाउंटर की जांच के लिए गठित एसआईटी ने सुरक्षा बलों को क्लीन चिट दे दी है। गौर हो कि हैदरपुरा में 15 नवंबर को हुई मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी और तीन अन्य लोग मारे गए थे तथा पुलिस ने मारे गए सभी लोगों का आतंकवाद से संबंध होने का दावा किया था। तीनों लोगों के परिवारों ने कहा था कि वे निर्दोष थे जिसके बाद पुलिस ने जांच के आदेश दिए।

वहीं, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मामले में अलग से मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए। यह मुठभेड़ शहर की सीमा के भीतर सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया दुर्लभ अभियान था।

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