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लोंगेवाला युद्ध : पाकिस्तान की एक गलती पड़ गई भारी, IAF चीफ ने बताया क्यों फेल हुई PAK की योजना

Updated Feb 19, 2021 | 00:12 IST | भाषा

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच 1971 में हुए लोंगेवाला युद्ध को याद करते हुए कहा कि पाकिस्‍तान की योजना जबर्दस्त थी, लेकिन उसने एक गलती कर दी थी।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
लोंगेवाला युद्ध : जब पाकिस्तान की एक गलती पड़ गई उस पर भारी, IAF चीफ ने 1971 की जंग को यूं किया याद

नई दिल्ली : लोंगेवाला की निर्णायक लड़ाई को याद करते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने गुरुवार को कहा कि टैंकों के साथ हमला करने की पाकिस्तानी सेना की योजना 'जबर्दस्त' थी, लेकिन वह भारत की वायु शक्ति को शायद भूल गई थी। भदौरिया ने कहा कि पाकिस्तानी फौज यह भूल गई कि जैसलमेर में तैनात हंटर विमानों का आधा स्क्वाड्रन क्या कर सकता है, और शायद यही उसकी 'एकमात्र गलती' थी।

भारत 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर जीत की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। वायुसेना प्रमुख पालम में भारतीय वायुसेना के संग्रहालय में 'द एपिक बेटल ऑफ लोंगेवाला' नामक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह किताब एयर मार्शल (अवकाशप्राप्त) भरत कुमार ने लिखी है जिन्होंने वर्ष 1965 एवं वर्ष 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया था।

'पाकिस्‍तान की योजना जबर्दस्‍त थी, पर...'

कार्यक्रम में कुर्सियां खुले मैदान के बीच में लगाई गई थीं, साथ में पाकिस्तानी सेना के क्षतिग्रस्त दो टी-59 टैंक और हंटर, कृषक तथा अन्य विमान वहां खड़े थे। इन विमानों ने लड़ाई के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। भदौरिया ने जोर देकर कहा कि भारतीय वायुसेना ने प्रारंभ से ही अपनी हवाई ताकत का प्रदर्शन किया है चाहे वह कश्मीर संघर्ष हो, 1965 और 1971 की लड़ाई हो या फिर 1999 में कारगिल का युद्ध हो।

उन्होंने कहा कि लोंगेवाला की लड़ाई के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। लोंगेवाला-जैसलमेर के इलाके को देखते हुए पाकिस्तानी सेना की टैंकों के साथ हमला करने की योजना अपने आप में जबर्दस्त थी। भदौरिया ने कहा, 'अगर यह कामयाब हो जाती तो यह पश्चिमी मोर्चे पर और युद्ध के अंतिम परिणाम की दिशा ही बदल देती।'

पाकिस्‍तान ने कर दी ये गलती

वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'पाकिस्तान की सेना ने शायद एक ही बात को भुला दिया, और वह थी भारत की वायु शक्ति। उन्होंने सोचा कि जैसलमेर में तैनात हंटर विमानों का आधा स्क्वाड्रन क्या कर सकता है और शायद यही उनकी एकमात्र गलती थी।' उन्होंने कहा कि लोंगेवाला की लड़ाई एक परिदृश्य पर प्रकाश डालती है कि यदि समय और स्थान को सही ढंग से चुना जाए तो वायु शक्ति असीमित परिणाम ला सकती है।

भदौरिया ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बहादुरी की कहानियों को किताबों में संजोया जाए और अगली पीढ़ी को बताया जाए। इसके बाद वायुसेना प्रमुख ने संग्रहालय परिसर में 'लोंगेवाला लाउंज' का उद्घाटन किया। उन्होंने किताब के लेखक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह युद्धों, चुनौतियों एवं इनसे सीखे गए सबक को जानने के लिए अच्छी अध्ययन सामग्री होगी।

हंटर विमान ने पलट दिया था रुख

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि लोंगेवाला, 'यह हमें हमेशा गौरवान्वित करेगा, आज गौरवान्वित करता है और कल भी इसकी प्रशंसा जारी रहेगी।' एयर मार्शल (अवकाशप्राप्त) कुमार ने कहा, 'मिराज कारगिल में युद्ध की दिशा बदलने वाला साबित हुआ जबकि लोंगेवाला की लड़ाई में हंटर विमान से दिशा बदली।' 

कुमार ग्वालियर वायुसेना स्टेशन के कमांडर रह चुके हैं जहां मिराज-2000 विमानों का बेड़ा तैनात हैं। पूर्व वायुसेना प्रमुख चीफ एयर मार्शल (अवकाश प्राप्त) ए वाई टिपनिस ने भी लोंगेवाला की निर्णायक लड़ाई से मिली सीख को साझा किया। भदौरिया ने बताया कि किताब में 10 अध्याय हैं। वहीं, कुमार ने बताया कि हंटर विमान ने पांच दिसंबर 1971 की सुबह पहली कार्रवाई की थी।
 

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