- नेपाल और भारत के शीर्ष राजनयिकों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता हुई
- बैठक में नेपाल में चल रही विकास संबंधी विभिन्न परियोजना की प्रगति की समीक्षा की गई
- तल्खी आने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्च-स्तरीय वार्ता है
नई दिल्ली: भारत और नेपाल के शीर्ष राजनयिकों ने सोमवार को डिजिटल बैठक कर भारत की मदद से नेपाल में चल रही विकास संबंधी विभिन्न परियोजना की प्रगति की समीक्षा की। काठमांडू में भारत के दूतावास ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'भारत और नेपाल ने आज डिजिटल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ओवरसाइट मैकेनिज्म (OSM) की 8वीं बैठक की। बैठक में द्विपक्षीय आर्थिक और विकास सहयोग परियोजनाओं की व्यापक समीक्षा की गई।
वहीं नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'नेपाल-भारत द्विपक्षीय सहयोग के तहत चल रही परियोजनाओं पर चर्चा हुई जिसमें तराई सड़कें, सीमा पार रेलवे, अरुण-तृतीय जल विद्युत परियोजना, पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन, पंचेश्वर परियोजना, भूकंप के बाद पुनर्निर्माण शामिल हैं।'
बयान में आगे कहा गया, 'जिन पर चर्चा की गई उनमें सिंचाई, बिजली और ट्रांसमिशन लाइनें, नेपाल पुलिस अकादमी का निर्माण, एकीकृत चेक पोस्ट, रामायण सर्किट, HICDP, महाकाली नदी पर मोटर योग्य पुल, कृषि और सांस्कृतिक विरासत आदि शामिल हैं।'
नेपाल के नए नक्शे पर बना हुआ है तनाव
नेपाल ने मई में नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने से भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में तल्खी आने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्च-स्तरीय वार्ता है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है। जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया।
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के 74वें गणतंत्र दिवस की बधाई दी थी, जिसके बाद यह बैठक हुई है।