- कोविड-19 से बचाव के लिए सभी नजरें अब वैक्सीन पर टिकी हैं
- भारत को जल्द ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की डोज मिल सकती है
- इस वैक्सीन को सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगाया जाएगा
नई दिल्ली : देश-दुनिया में कोरोना वायरस के कारण मची तबाही के बीच हर किसी की उम्मीदें अब कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन पर टिकी है। हालांकि अब तक इस दिशा में वैज्ञानिकों को कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई है, पर उम्मीद जताई जा रही है कि अगले दो-तीन माह में इस दिशा में अहम सफलता मिल सकती है। इसी कड़ी में भारत को जल्द ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की बड़ी खेप मिलने की उम्मीद की जा रही है।
यहां उल्लेखनीय है कि भारत सहित कई देशों में कोविड वैक्सीन को लेकर काम चल रहा है, जो अंतिम चरण में बताया जा रहा है। इसमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका से दुनियाभर की उम्मीदें लगी हैं। भारत को अगले साल जनवरी, फरवरी तक इसकी डोज मिलने की संभवाना जताई जा रही है और वह भी एमआरपी से आधी कीमत पर। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस वैक्सीन को खरीद को लेकर समझौते के अंतिम चरण में है।
पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को मिलेगी डोज
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित वैक्सीन की डोज अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से 50 फीसदी से भी कम कीमत पर मिलने के आसार हैं, जो प्रति डोज 500-600 रुपये होगा। हालांकि यह तभी संभव होगा जब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को ब्रिटेन और इंडियन रेग्यूलेटरी बॉडी से इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को लेकर मंजूरी मिल जाए।
अगर यह वैक्सीन फरवरी तक देश पहुंच जाता है तो डॉक्टर्स, नर्स, म्यूनिसिपल कर्मचारी, सशस्त्र बलों जैसे फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को लेकर अगले माह औपचारिक आवेदन देने वाली है। अगर दिसंबर तक उसे अनुमति मिल जाती है तो जनवरी-फरवरी तक वैक्सीन की पहली खेप यहां पहुंच सकती है।