- बैठक में नेपाल में भारत की ओर से चलाए जाने वाले परियोजनाओं की होगी समीक्षा
- नेपाल के नए नक्शे के बाद नई दिल्ली और काठमांडू के रिश्तों में आ गई है तल्खी
- भारत ने स्पष्ट किया है कि उचित माहौल बनाने पर ही होगी सीमा विवाद पर बातचीत
काठमांडू: सीमा पर जारी गतिरोध के बीच सोमवार को काठमांडू में भारत और नेपाल के बीच बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत की ओर से नेपाल में चलाए जा रहे विकासशील परियोजनाओं की समीक्षा होनी है। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब सीमा एवं नेपाल के नए नक्शे को लेकर दोनों देशों के रिश्ते तल्ख हो गए हैं। इस बैठक से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी को फोन किया। नेपाल और भारत के रिश्तों के जानकारों का कहना है कि ओली ने बैठक से पहले पीएम मोदी को फोन कर माहौल को सकारात्मक बनाने की पहल की है। इस बैठक में सीमा विवाद पर कोई बातचीत नहीं होनी है लेकिन दोनों देशों के बीच बने गतिरोध के बाद यह पहली उच्च स्तरीय बैठक हो रही है, इसलिए इस बातचीत को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सीमा विवाद के बाद पहली बार हो रही उच्च स्तरीय बैठक
बताया जा रहा है कि यह बैठक सुबह 10 बजे शुरू होकर दोपहर 12 बजे समाप्त होगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बैठक में नेपाल की तरफ से वहां के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और भारत की तरफ से राजदूत विनय मोहन कवात्रा शामिल होंगे। नेपाल में 2015 में आए भूकंप ने हिमालयी देश में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी, इस विध्वंस से नेपाल को उबारने के लिए भारत ने वहां बड़े पैमाने पर राहत अभियान चलाया और कई परियोजनाओं की शुरुआत की। इस बैठक का लक्ष्य भारत की ओर से नेपाल में चलाए जा रहे इन परियोजनाओं की समीक्षा करना है।
नेपाल में कई परियोजनाएं चला रहा भारत
भारत की तरफ से नेपाल में रेलवे लाइन बिछाने, पुनर्निर्माण कार्य, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, पॉलिटेक्निक कॉलेज, ऑयल पाइपलाइन, बॉर्डर चेक पोस्ट सहित कई कार्य किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने नेपाल में चलने वाली परियोजनाओं के लिए बजट में 800 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
बैठक नियमित बातचीत का हिस्सा
सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच होने वाली नियमित बातचीत का हिस्सा है। भारत और नेपाल के बीच बैठक के लिए साल 2016 में एक तंत्र की व्यवस्था की गई जो समय-समय पर 'आर्थिक एवं विकासशील परियोजनाओं की समीक्षा करता है।' इससे पहले दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के बाद गत शनिवार को पहली बार केपी ओली और पीएम मोदी के बीच बातचीत हुई। सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं ने कोविड-19 संकट से निपटने के बारे में बताचीत की और पीएम ने अपनी नेपाली समकक्ष को इस संकट से लड़ने में मदद का भरोसा दिया।
भारतीय क्षेत्र को नेपाल ने बताया है अपना हिस्सा
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गत आठ मई को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख से धारचुला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग का उद्घाटन किया। इसके बाद नेपाल ने इस सड़क मार्ग को लेकर आपत्ति जताई। फिर उसने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हए नया नक्शा जारी किया। इस विवादित नक्शे पर भारत की तरफ से कड़ा एतराज जताया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस नक्शे को 'दावों का कृत्रिम विस्तार' बताते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद नेपाल की तरफ से हुई बयानबाजी ने दोनों देशों के रिश्तों को और तल्ख बनाने का काम किया। भारत ने कहा है कि सीमा विवाद पर बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी नेपाल पर है।