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24 घंटे में दूसरी बार 'प्रलय' मिसाइल का सफल परीक्षण, 500 KM तक मचा सकती है तबाही

Updated Dec 23, 2021 | 11:17 IST

Pralay ballistic missile : बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता उसके पेलोड पर निर्भर करती है। पेलोड बढ़ने पर उनकी मारक क्षमता कम हो जाती है। इस मिसाइल में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।  

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तस्वीर साभार:&nbspANI
बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का सफल परीक्षण।

नई दिल्ली : भारत ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का सफल परीक्षण किया है। सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल (Pralay ballistic missile) की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर के बीच है। सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस अलग-अलग रेंज से इस मिसाइल का टेस्ट हुआ और अपने सभी परीक्षणों में यह मिसाइल खरी उतरी है। बीते 24 घंटे में इस मिसाइल का यह दूसरा परीक्षण है। बुधवार को भी इस मिसाइल का सफल टेस्ट हुआ। ऐसा देश में पहली बार हुआ है जब एक विकसित होने वाली मिसाइल को सफल परीक्षण लगातार दूसरे दिन किया गया है। बता दें कि बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता उसके पेलोड पर निर्भर करती है। पेलोड बढ़ने पर उनकी मारक क्षमता कम हो जाती है। इस मिसाइल में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।  

'प्रलय' देश की पहली पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल
गुरुवार सुबह ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इस बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट हुआ। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित 'प्रलय' देश की पहली पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल उत्तरी एवं पश्चिमी सीमा से होने वाले किसी भी पारंपरिक मिसाइल हमलों का जवाब देने में सक्षम है। 

मिसाइल में ठोस ईंधन का इस्तेमाल
बुधवार को 'प्रलय' के जिस संस्करण का परीक्षण हुआ उसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर है। यह मिसाइल समुद्र और जमीन पर दुश्मन के ठिकानों को सफलतापूर्वक तबाह कर सकती है। इस मिसाइल में ठोस ईंधन का इस्तेमाल हुआ है।  मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के ‘पृथ्वी रक्षा वाहन’ पर आधारित है। मिसाइल निर्देशक प्रणााली में अत्याधुनिक नौवहन एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे हुए हैं।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को दी बधाई
'प्रलय' की इस सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई दी। रक्षा मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘पहले परीक्षण के लिए डीआरडीओ और इससे जुड़ी टीम को बधाई। सतह से सतह पर मार करने वाले आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल के सफल प्रक्षेपण के लिए मैं बधाई देता हूं। आज महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई।’ रक्षा - अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि नई पीढ़ी की मिसाइल से सशस्त्र बलों को और ताकत मिलेगी।  

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