नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर में वैक्सीन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इसी क्रम में ब्रिटेन ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन को मंजूरी दे दी और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही अब भारत में भी इस वैक्सीन को लेकर उम्मीद बढ़ गई है, जिसका निर्माण यहां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है।
एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ब्रिटेन में इस्तेमाल के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी को बड़ा कदम करार देते हुए कहा कि भारत के पास अगले कुछ दिनों में कोविड-19 वैक्सीन होगा। उन्होंने कहा, 'यह बहुत अच्छी खबर है कि एस्ट्राजेनेका को ब्रिटेन के नियामक प्राधिकरण द्वारा टीके के लिए मंजूरी मिल गई है। उनके पास पर्याप्त आंकड़े हैं। भारत में इसी टीके का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है। यह न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए एक बड़ा कदम है।'
वैक्सीन के रखरखाव के संबंध में एम्स डायरेक्टर ने कहा, 'इसे दो से आठ डिग्री सेंटीग्रेड पर स्टोर किया जा सकता है। इसलिए इसे स्टोर करना और इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होगा। इसे सामान्य फ्रिज में भी स्टोर किया जा सकता है, जबकि फाइजर वैक्सीन को स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है।'
भारत में टीकाकरण को लेकर डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'अब, हमारे पास एक डेटा है। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी यूके, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के अध्ययनों के आधार पर दी गई। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के भी डेटा हैं। मुझे लगता है कि एक बार नियामक प्राधिकरण को डेटा दिखाए जाने के बाद, हमें कुछ दिनों के भीतर देश में वैक्सीन के लिए मंजूरी मिल जानी चाहिए। कब तक ऐसा होगा, इस बारे में मैं कहूंगा कि ऐसा कुछ दिनों में हो सकता है।' उन्होंने यह भी कहा कि देश में टीकाकरण को लेकर उचित इंतजाम कर लिए गए हैं।