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स्वदेशी तकनीक में भारत की एक और छलांग, बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के पहले चरण का काम पूरा

शिवानी शर्मा | Deputy News Editor
Updated Sep 07, 2022 | 16:35 IST

भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने 2021-22 के लिए अपनी 52वीं वार्षिक रिपोर्ट में पुष्टि की है कि उसे एंडो इंटरसेप्टर मिसाइल (एएडी) और एक्सो इंटरसेप्टर मिसाइल (पीडीवी) के लिए उत्पादन का ऑर्डर मिला है जो भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के पहले फेस का हिस्सा है।

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बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के पहले चरण का काम पूरा।

INS विक्रांत के बाद भारत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाला है, भारत को अपना पहला स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। भारत के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम के पहले चरण को पूरा कर लिया गया है। अब जल्दी इस सिस्टम में डेप्लॉयमेंट के बाद दिल्ली को बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड मिल सकेगी जो भारत को किसी भी तरह की बैलिस्टिक मिसाइल से प्रतिरक्षा प्रदान करने में सक्षम होगी। डीआरडीओ पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा से बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम पर काम कर रहा है। 

इस योग्यता के साथ 4 देशों की लीग में शामिल होगा भारत
बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम के पूरा होने पर भारत दुनिया के उन 4 देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास अपनी बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड बनाने की ताकत है। DRDO का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस BMD चरण- I का कार्यक्रम अब पूरा हो गया है। अब DRDO ने AD1 और AD2 अगली पीढ़ी के इंटरसेप्टर मिसाइलों के विकास पर दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत काम करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत 1500 किमी  से 3000 किमी तक की रेंज में शत्रु बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराया जा सकेगा। 

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सिस्टम के पहले चरण की तैनाती 2022-23 से शुरू होगी
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने 2021-22 के लिए अपनी 52वीं वार्षिक रिपोर्ट में पुष्टि की है कि उसे एंडो इंटरसेप्टर मिसाइल (एएडी) और एक्सो इंटरसेप्टर मिसाइल (पीडीवी) के लिए उत्पादन का ऑर्डर मिला है जो भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के पहले फेस का हिस्सा है। रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, भारत के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के पहले चरण की तैनाती 2022-23 से शुरू होगी और यह प्रोग्राम शेड्यूल के अनुसार चल रहा है। 

पहले चरण में दिल्ली-एनसीआर को सुरक्षा देगा यह सिस्टम
राजस्थान में दो साइटों पर मल्टीफंक्शन फायर-कंट्रोल रडार (एमएफसीआर) और एल-बैंड लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार (एलआरटीआर) लगाने का काम चल रहा है, जिसका इस्तेमाल पहले चरण में दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के लिए कवर प्रदान करने के लिए  होगा। दूसरे चरण में मध्य प्रदेश में मुंबई क्षेत्र के लिए बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस कवर प्रदान करने के लिए एमएफसीआर और एलआरटीआर साइटों पर काम शुरू होगा। बीएमडी सिस्टम में दो इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं, पहली है पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) - यह वायुमंडल के बाहर (Exo Atmospheric)यानि पृथ्वी से 50-150 किलोमीटर की ऊंचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है। यह मौजूदा पृथ्वी वायु रक्षा (Pruthvi Air Defence-PAD) प्रणाली (प्रद्युम्न) का स्थान लेगी, जिसकी अधिकतम रेंज 80 किलोमीटर है।

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पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंताएं बढ़ीं
दूसरी है एडवांस्ड एरिया डिफेंस - यह वायुमंडल के भीतर (Endo Atmospheric) यानि पृथ्वी से 20-40 किलोमीटर की ऊंचाई के लिये इंटरसेप्टर मिसाइल है। इसे 'अश्विन' नाम दिया गया है। डीआरडीओ द्वारा बनाए गए इस सिस्टम को जल्द ही पूर्ण रूप से तैनात कर दिया जाएगा। बीएमडी प्रणाली के पहले चरण की रेंज को दूसरे चरण में 5000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा। भारत के अलावा ऐसी रक्षा प्रणाली अमेरिका, रूस, चीन और इजराइल के पास भी है। भारत की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड से पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंताएं और बढ़ गई हैं क्योंकि यह बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम किसी भी तरह की बैलिस्टिक मिसाइल को दूर से ही इंटरसेप्ट कर नष्ट कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक पहले चरण में दिल्ली एनसीआर में इसका डेप्लॉयमेंट इसलिए जरूरी है क्योंकि दिल्ली अति-संवेदनशील है, यहां आर्मी, नेवी और एयर हेड क्वार्टर तो मौजूद हैं ही। साथ ही संसद, मंत्रालय, राष्ट्रपति भवन प्रधानमंत्री आवास समेत तमाम सुरक्षा एस्टेब्लिशमेंट्स हैं जो भारत का नर्व सेंटर कहलाते हैं। दूसरे चरण में मुंबई जोन के लिए बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैयार किया जाएगा।

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