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इंटरव्यू: मध्य प्रदेश में पेश होगी नई मिसाल, असंसदीय भाषा पर रोक के लिए बनेंगे नियम

Updated Aug 09, 2021 | 19:26 IST

धोबी का कुत्ता, भ्रष्टाचारी, गिरहकट, दूतों की पूजा, दुराचारी, नई चांदनी, बकवास, बुद्धि मारी गई है, मूर्ख हो, भांग पीकर आए हो, होश-हवाश में नहीं होना, शराबखोर, बेइमान, लुच्चा आदि शब्दों को हटाया जाएगा

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम
मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश विधान सभा में इस बार खास तरह की पहल की गई है। विधान सभा ने 67 साल में सदन में हुई कार्रवाई के दौरान असंसदीय शब्दों का रिकॉर्ड तैयार किया है।
  • हमने वर्ष 23 सितंबर 1954 से लेकर  मार्च 2021 तक के शब्दों और वाक्यांशों को निकलवाया है। जो पीठासीन अधिकारियों ने विलोपित किया था।
  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी यह कहा कि इतने  वर्षों के बाद भी हमें विधायकों को बताना पड़ रहा है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं।

मध्य प्रदेश विधान सभा में इस बार खास तरह की पहल की गई है। विधान सभा ने पिछले 67 साल में सदन में हुई कार्रवाई के दौरान असंसदीय शब्दों का रिकॉर्ड तैयार किया है। जिसके आधार पर आने वाले समय में विधायकों को बकायदा निर्देश दिए जाएंगे कि कौन से शब्दों का वह सदन  में इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में क्या योजना है, इस पर विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने टाइम्स नाउ डिजिटल के प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत की है,पेश है इंटरव्यू के प्रमुख अंश:

सवाल- इस तरह के बुकलेट लाने का क्या उद्देश्य है

हमने वर्ष 23 सितंबर 1954 से लेकर  मार्च 2021 तक के शब्दों और वाक्यांशों को निकलवाया है। जो पीठासीन अधिकारियों ने विलोपित किया था। इस दौरान विलोपित शब्द किस तारीख को निकाले गए उनकी विस्तृत जानकारी और संदर्भ के आधार पर बुकलेट में चीजें को शामिल किया गया है। इसके जरिए हमारी कोशिश यह है कि विधायकों को उन शब्दों और मुहावरों के बारे में जानकारी मिले, जिन्हें असंसदीय माना गया है। जिससे कि आगे उनका इस्तेमाल करने से बचें। और स्वस्थ संसदीय परंपरा विकसित हो सके।

सवाल- इस तरह के कुल कितने शब्दों को शामिल किया गया है

जवाब- ऐसे कुल 1161 शब्दों को बुकलेट में शामिल किया गया है। जिन्हें यह माना गया कि वह असंसदीय हैं। बुकलेट में उनका संदर्भ भी दिया गया है। जिससे कि विधायक पूरे बैक ग्राउंड को समझ सके। उद्देश्य केवल यह है कि हम एक मिसाल पेश करें। जिस दिन ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना विधायक बंद कर देंगे, मैं विश्वास दिलाता हूं कि ऐसी बुकलेट की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी और उससे संबंधित दिशानिर्देश वापस ले लिए जाएंगे।


सवाल- लेकिन अन्याय, भ्रष्ट जैसे शब्द और खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसे मुहावरे तो असंसदीय नहीं लगते हैं 

जवाब- देखिए हमने केवल उन शब्दों का संकलन किया है जिन्हें विलोपित किया गया। जहां तक अन्याय या दूसरे मुहावरों की बात है तो ये शब्द संसदीय हो सकते हैं। लेकिन अगर कोई अन्याय की जगह अन्यायी कह दे तो उसे संसदीय कैसे कहा जा सकता है। ऐसे में शब्द का भाव, वाक्य के साथ जोड़कर देखा जाता है। जैसे धोबी का कुत्ता, चमारों का देवता, गिरहकट, दूतों की पूजा, दुराचारी, नई चांदनी, बकवास, बुद्धि मारी गई है, मूर्ख हो, भांग पीकर आए हो, होश-हवाश में नहीं होना, शराबखोर, बेइमान, लुच्चा, लफंगा, सड़क छाप, भ्रष्टाचारी, अंधा-बहरा, अयोग्य, बेशर्म, असभ्य जैसे शब्दों को हटाया जाएगा।

सवाल- विपक्ष के नेताओं का कहना है, अभी भी कुछ शब्द हैं जो असंसदीय नहीं है, लेकिन फिर भी बकुलेट में शामिल हैं। ऐसे में उन्हें हटाया जाना चाहिए

जवाब- देखिए अभी तो हमने केवल इन शब्दों और वाक्यांशों को निकालकर बुकलेट बनाई है। जिसे विधायकों को दिया है। जिससे कि वह उसे पढ़े और समझे और आगे इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करें। हमारा प्रयास यह है कि हमें किसी तरह की कार्रवाई की तरफ नहीं जाना पड़ा। बुकलेट के विमोचन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी यह कहा कि इतने  वर्षों के बाद भी हमें विधायकों को बताना पड़ रहा है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं। 

सवाल- आपने कहा इसे हटाया जाएगा, तो यह कब तक कर दिया जाएगा

जवाब- देखिए अभी इन शब्दों को हटाया नहीं गया है। हमने केवल यही बताया है कि इन शब्दों को असंसदीय मानकर विलोपित किया गया था। अब तय किया जाएगा कि कौन से शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना है। उन्हें असंसदीय माना जाएगा। यह सब कार्यवाही इस सत्र में ही पूरी कर ली जाएगी। साथ उसके उल्लंघन पर क्या कार्रवाई की जाएगी, उनका भी निर्धारण कर लिया जाएगा।

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