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विरोधियों के 'डार्लिंग' बन गए हैं परमबीर, फडणवीस के दिल्ली दौरे के बाद क्यों फूटा लेटर बम : शिवसेना

Updated Mar 22, 2021 | 09:04 IST

महाराष्ट्र की सियासत में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के एख खत से खलबली मची हुई है। अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए इसके लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।

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'विरोधियों के 'डार्लिंग' बन गए हैं परमबीर, BJP, यह एक साजिश'
मुख्य बातें
  • शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए साधा बीजेपी पर निशाना
  • कहा- बीजेपी परमबीर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर चला रही है
  • सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है: सामना

नई दिल्ली: मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना में आज जो संपादकीय लिखा गया है उसमें बीजेपी पर हमला किया गया है। सामना में शिवसेना और अघाड़ी सरकार को पाक साफ करार देते हुए उल्टा बीजेपी से सवाल पूछे गए हैं। इसमें लिखा गया है कि आखिर फडणवीस के दिल्ली दौरे के बाद ही क्यों फूटा परमबीर सिंह का लेटर बम?

बीजेपी से सवाल
शिवेसना नेता संजय राउत के कार्यकारी संपादक वाले सामना के संपादकीय में लिखा गया है, 'मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भरोसे लायक अधिकारी बिल्कुल नहीं हैं। उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है, ऐसा मत कल तक भारतीय जनता पार्टी का था परंतु उसी परमबीर सिंह को आज भाजपा सिर पर बैठाकर नाच रही है। पुलिस आयुक्त पद से हटते ही परमबीर सिंह साहेब ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा.. इस पर मीडिया के साथ-साथ भाजपा की हाय-तौबा जारी है। परमबीर सिंह को राज्य सरकार ने पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया है।'

इस संपादकीय में बीजेपी को निशाने पर लेते हुए आगे लिखा है, 'सचिन वाझे को हटाकर क्या फायदा? पुलिस आयुक्त को हटाओ, भाजपा की यही मांग थी। अब उसी परमबीर सिंह को भाजपावाले कंधे पर उठाकर बाराती की तरह मस्त होकर नाच रहे हैं। यह राजनैतिक विरोधाभास है। परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं। परंतु सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा पत्राचार करना नियमोचित है क्या? गृहमंत्री पर आरोप लगानेवाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के तहत उचित नहीं है।'

'बीजेपी कर रही है इस्तेमाल'
परमबीर को धड़ाकेबाज अधिकारी बताते हुए कहा गया है कि उन्होंने सुशांत केस से लेकर, कंगना मामले में बेहतरी ढंग से कार्य किया जिस वजह से सीबीआई को यहां हाथ मलते रहना पड़ा। सामना में लिखा गया है कि परमबीर को संयम बरतने चाहिए था।  सामना में लिखा गया है, 'गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटकों के मामले में, साथ ही मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वाझे की भूमिका स्पष्ट हो रही है। इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा, सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है।'

फडणवीस की दिल्ली यात्रा पर सवाल
इस संपादकीय में बीजेपी पर सवाल उठाते हुए लिखा गया है, ' देवेंद्र फडणवीस दिल्ली जाकर मोदी-शाह को मिलते हैं और दो दिन में परमबीर सिंह ऐसा पत्र लिखकर खलबली मचाते हैं। उस पत्र का आधार लेकर विपक्ष जो हंगामा करता है, यह एक साजिश का ही हिस्सा नजर आता है। महाराष्ट्र में विपक्ष ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का निरंकुश इस्तेमाल शुरू किया है, महाराष्ट्र जैसे राज्य के लिए ये उचित नहीं है। एक तरफ राज्यपाल राजभवन में बैठकर अलग ही शरारत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से दबाव का खेल खेल रही है। कहीं किसी हिस्से में चार मुर्गियां और दो कौवे बिजली के तार से करंट लगने से मर गए तब भी केंद्र सरकार महाराष्ट्र में सीबीआई अथवा एनआईए को भेज सकती है, ऐसा कुल मिलाकर नजर आ रहा है।'

इस संपादकीय में आशंका जताई गई है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का हथौड़ा चलाया जा सकता है और परमबीर सिंह इसके लिए नए प्यादे तैयार किए जा रहे हैं। इस संपादकीय में कहा गया है कि आज परमबीर सिंह विरोधियों की ‘डार्लिंग’ बन गए हैं और परमबीर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। 
 

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