- जंगल महल इलाके में गुरुवार शाम थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोर
- इलाके में 70 प्रतिशत आदिवासी आबादी इस बार किसे करेगी वोट
- भाजपा और टीएमसी दोनों इस इलाके में अपनी बढ़त बनाना चाहते हैं
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होने जा रहा है। इस चरण के लिए चुनावी शोर गुरुवार शाम थम जाएगा। पहले चरण का चुनाव नक्सलियों का गढ़ रहे और आदिवासी बहुल क्षेत्र जंगल महल में हो रहा है। जंगल महल इलाके में पांच जिले पुरुलिया, पं. मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पूर्व मेदिनीपुर और झारग्राम आते हैं। भाजपा और टीएमसी दोनों की नजर इस क्षेत्र पर है। दोनों ही पार्टियां अपनी बढ़त बनाकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करना चाहती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरुलिया में रैली कर अपनी चुनावी रैली का आगाज किया तो ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में मिदनापुर में जनसभाएं की हैं।
लेफ्ट, टीएमसी और फिर भाजपा के साथ
जंगल महल के लोगों ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग राजनीतिक दलों का साथ दिया है। आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोग कभी लेफ्ट के साथ थे फिर तृणमूल कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाई। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने भाजपा उम्मीदवारों को भारी मतों से जीताया। इस क्षेत्र में लोकसभा चुनावों में मिली कामयाबी को भाजपा विस चुनाव में दोहराना चाहती है। पिछले गुरुवार को पीएम मोदी ने पुरुलिया ने एक बड़ी रैली की। ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी इस इलाके में लगातार रैलियां करते आए हैं। जंगल महल इलाका दोनों ही पार्टियों के लिए राजनीतिक रूप से काफी अहम हो गया है।
जंगल महल इलाके में हैं 44 सीटें
इस इलाके में विधानसभा की 44 सीटें आती हैं। इसमें बांकुरा जिले की 12 सीटें, पुरुलिया की 9, पश्चिम मिदनापुर की 19 और झारग्राम की 4 सीटें शामिल हैं। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस इलाके में केवल एक सीट मिली थी। इस चुनाव में भाजपा नेता दिलीप घोष ने खड़गपुर से चुनाव जीता था लेकिन 2019 में हुए उपचुनाव में भाजपा यह सीट हार गई। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस इलाके में शानदार प्रदर्शन किया। इलाके की लोकसभा की छह सीटों में से भगवा पार्टी ने पांच सीटों पर कब्जा कर ममता बनर्जी को एक बड़ा झटका दिया। हालांकि, बहुत सारे लोग भाजपा की इस जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यों को देते हैं। इसके अलावा इलाके में विकास कार्यों का न होना टीएमसी के खिलाफ गया।
विकास से अभी कोसों दूर है यह इलाका
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 34 वर्षों के लेफ्ट के शासन में इस इलाके की सूरत नहीं बदली। लोगों को ममता बनर्जी को रूप में एक विकल्प दिखा लेकिन टीएमसी के 10 वर्षों के शासन में भी यह क्षेत्र विकास कार्यों से वंचित रहा। इस इलाके में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से लोग परेशान हैं। जंगल महल इलाके में संथाल, ओरांव, सबार, खेडिया, लोधा, मुंडा, भुमिज, महाली, वोरा आदिवासी समुदाय रहता है। इस इलाके में हिंदुओं की आबादी भी अच्छी खासी है। इसके अलावा बागदी, गोअला, सदगोप, कुर्मी, महतो, डोम, मल, कैबर्तो, तांती और तेली जैसी प्रमुख पिछड़ी जातियां भी यहां रहती हैं। ममता ने कैबर्तो समुदाय को रिझाने के लिए उसे ओबीसी का दर्जा देने का वादा किया है।
इस बार आठ चरणों में हो रहा मतदान
पश्चिम बंगाल में इस बार विधानसभा चुनाव आठ चरणों में हो रहे हैं। पहले चरण के लिए मतदान 27 मार्च को होगा जबकि चुनाव नतीजे दो मई को आएंगे। इस बार राज्य में मुख्य मुकाबाल भाजपा और टीएमसी के बीच है। राज्य में सबसे बड़ा मुकाबला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी के बीच है। सुवेंदु टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। वह ममता के करीबी सहयोगियों में से एक रहे हैं।