- श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या पर तनातनी, प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही हैं ये ट्रेनें
- रेल मंत्री पीयूष गोयल का आरोप पश्चिम बंगाल जैसे राज्य ट्रेनों के फेरे को बढ़ाए जाने की नहीं दे रहे हैं अनुमति
- झारखंड सरकार ने रेल मंत्री के आरोपों को नकारा, बीजेपी पर राजनीति करने का मढ़ा दोष
नई दिल्ली। देश के न्यूज पेपर हों या टेलीविजन मीडिया हर एक मंच पर मजदूरों की पीड़ा सामने आ रही है। कोई हजार किमी तो कोई 1500 किमी तो कोई 2 हजार किमी के सफर पर निकल पड़ा है। खाने के लिए अनाज नहीं,पैरों में चप्पल नहीं, लंबी दूरी तय करने की वजह से पैरों में छाले पड़ चुके हैं। विपक्षी दल केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. तो केंद्र की तरफ से भी राज्यों पर निशाना साधा रहा है। गुरुवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बहुत से ऐसे राज्य हैं जो बड़ी संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, खासतौर पर उन्होंने बंगाल का जिक्र किया। लेकिन झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर सीधा निशाना साधा।
झारखंड सरकार का पलटवार
हेमंत सोरेन कहते हैं कि यह बीजेपी और केंद्र सरकार की आदत बन गई है को वो हर विषय पर राजनीति करते हैं। झारखंड सरकार की तरफ से 110 ट्रेनों के लिए एनोसी दी गई थी। करीब 50 ट्रेनों में 60 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर राज्य में आ चुके हैं। इसके साथ ही वो केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल अपने अपने राज्यों की तरफ जा रहे हैं उन्हें भेजने के लिए केंद्र सरकार के पास किसी तरह की कार्ययोजना नहीं है। हकीकत यह है केंद्र सरकार को राजनीति करने की आदत पड़ चुकी है।
प्रवासी मजदूरों पर सियासत
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर इस समय सियासत भी जारी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कल एक वीडियो शेयर करने के बाद आरोप लगाया था कि यह तो मोदी सरकार की हकीकत है। एक तरफ यह सरकार बड़े बड़ वादे और दावे कर रही है। लेकिन जमीन पर क्या कुछ हो रहा है सबको दिखाई दे रहा है। हजारों की संख्या में मजदूर भूखे प्यासे पैदल ही अपने अपने राज्यों की तरफ निकल पड़े हैं। केंद्र और बीजेपी शासित सरकारें सिर्फ आंकड़ों के जरिए देश को बताने में जुटी हुई हैं कि सबकुछ ठीक है। लेकिन तस्वीरें भला कहां झूठ बोलती हैं।