- झारखंड CM हेमंत सोरेन का इस्तीफा तय, आगे का सस्पेंस कायम
- सूबे में नई सरकार बनने पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अनिवार्य होगा
- ऐसे में यूपीए गठबंधन किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहेगा
झारखंड में सियासी संकट के बीच शनिवार (27 अगस्त, 2022) को विधायकों की बाड़ेबंदी देखने को मिली। सीएम हेमंत सोरेन और सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक (42 यूपीए MLAs) दोपहर को तीन बसों में सवार होकर किसी अनजान जगह के लिए रवाना होते देखे गए। इन बसों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों के साथ सुरक्षाकर्मी भी थे।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि विधायकों को एक ‘मित्र राज्य’ में शिफ्ट किया जा रहा है। यह राज्य या तो पश्चिम बंगाल हो सकता है या छत्तीसगढ़, जहां गैर-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) सरकार है।
रोचक बात है कि उभरते हालात से निपटने की रणनीति तैयार करने के लिए सीएम आवास पर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की तीसरे दौर की मैराथन मीटिंग के तुरंत बाद यह सियासी घटनाक्रम देखने को मिला। इस बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक अपने सामान के साथ पहुंचे थे।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सूबे में मौजूदा सियासी संकट सीएम सोरेन को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में विस सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिए जाने की वजह से पनपा। राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी विस सदस्यता खारिज करने का आदेश दे दिया, पर प्रक्रियानुसार इस बाबत आधिकारिक पत्र निर्वाचन आयोग जारी करेगा।
संभावना है कि आयोग आज ही पत्र जारी करेगा और इसके तत्काल बाद संवैधानिक बाध्यताओं के चलते हेमंत सोरेन को त्यागपत्र देना होगा। यह भी तय माना जा रहा है कि इस्तीफे के बाद सोरेन दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, क्योंकि खबरों के मुताबिक राज्यपाल के आदेश में उनके आगे चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई गई है।