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Kalyan Singh : कल्याण सिंह कहते थे-'इसे टिकट मिलना भी निश्चित है और हारना भी सुनिश्चित है'

Updated Aug 22, 2021 | 13:07 IST

Kalyan Singh News : कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव जितनी अच्छी तरह से जानते और समझते हैं, उस तरह की सूझ-बूझ से शायद ही किसी नेता के पास हो।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
यूपी की सियासत को बखूबी समझते थे कल्याण सिंह।

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के साथ भाजपा की राजनीति के एक युग का अवसान हुआ है। कल्याण सिंह भाजपा के उन गिने-चुने नेताओं में शुमार हैं जिन्होंने पार्टी को अखिल भारतीय छवि का निर्माण करने में योगदान दिया। एक व्यक्तित्व में राजनेता बनने के लिए जितने भी गुण होने चाहिए वे सभी चीजें कल्याण सिंह में मिलती हैं। वह मिलनसार, लोकप्रिय और सख्त प्रशासक थे। वह जमीन से जुड़े हुए नेता थे। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश की जमीनी राजनीति पहचानते थे। उन्होंने किसान, गरीब और आम जनता के हितों की कभी अनदेखी नहीं की। आम लोगों और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव के चलते वह पार्टी और जनता के बीच हमेशा लोकप्रिय बने रहे। 

यूपी की सियासत को बखूबी समझते थे
कल्याण सिंह के बारे में कई किस्से मशहूर हैं। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव जितनी अच्छी तरह से जानते और समझते हैं, उस तरह की सूझ-बूझ से शायद ही किसी नेता के पास हो। कल्याण सिंह को राज्य की एक-एक सीट के बारे में पता होता था। उन्हें यह मालूम होता था कि यह सीट भाजपा जीत सकती है कि नहीं। वह उम्मीदवार के बारे में कहते थे 'इसे टिकट मिलना भी निश्चित है और इसका हारना भी सुनिश्चित है।' उम्मीदवार और सीट के बारे में इतनी पक्की बात अगर कल्याण सिंह कहते थे तो यह अनायास नहीं होता था। इसके पीछे उस विधानसभा सीट का पूरा ब्योरा उनके पास होता था। वह पहले से जानते थे कि किसी सीट पर पार्टी का उम्मीदवार जीत सकता है कि नहीं। 

कल्याण सिंह के व्यक्तित्व में अक्खड़पन 
सिंह बेबाकी से अपनी बात रखते थे। उनमें स्पष्टवादिता थी जो बात उन्हें सही लगती थी उसे बिना लाग लपेट के बोल दिया करते थे। वह अपनी सोच एवं विचारधारा के साथ कभी समझौता नहीं करते थे। अपने इसी अक्खड़ स्वभाव के चलते वह दो बार भाजपा से अलग हुए, अपनी पार्टी बनाई और चुनाव लड़े। हालांकि, वह कभी भाजपा से मन से अलग नहीं हुए। भाजपा और संघ की विचारधारा उनके रग-रग में समाई हुई थी। सीएम के रूप में उन्होंने निर्णायक फैसले लिए। वह जो तय कर लेते थे उसे सख्ती से लागू कराते थे। यूपी में नकल विहीन परीक्षा कराना आसान काम नहीं था लेकिन उन्होंने कर दिखाया। प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों से कैसे काम लेना है, उसे वह बेहतर तरीके से समझते थे। उनके अक्खड़ स्वभाव में भी एक मधुरता थी जिसे अधिकारी सहर्ष स्वीकार कर लेते थे। भ्रष्टाचार मुक्त 'समूह ग' की भर्ती परीक्षा के लिए कल्याण सिंह को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने तय कर लिया था कि इस भर्ती में पैसा नहीं चलेगा तो नहीं चला। 

काम करने का एक अलग तरीका और सलीका था उनके पास
कल्याण सिंह ईमानदार नेता थे और इसी ईमानदारी के साथ वह काम करते और कराते थे। किसान, आम आदमी, गरीबों एवं कार्यकर्ताओं से उन्हें बेहद लगाव था। इन सब बातों ने उन्हें बड़ा बनाया। वह फैसला करने में माहिर थे। किसी भी मुद्दे पर वह तुरंत फैसला करते थे। यह सामान्य बात नहीं थी। काम करने का उनका एक तरीका और सलीका था जो उन्हें औरों से अलग बनाता था। वह जनाधार वाले और जनता के नेता थे। उत्तर प्रदेश में भाजपा को स्थापित करने और सबसे बड़े राज्य में उसे सत्ता तक लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। कल्याण सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी राजनीति ने देश की सियासत को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई। अपने फैसलों एवं योगदान के लिए वह हमेशा याद किए जाते रहेंगे।  

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