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Karnataka सरकार का बड़ा फैसला- Textbook Panel किया भंग, बसवन्ना पर लिखा अध्याय भी होगा संशोधित

Updated Jun 04, 2022 | 08:06 IST

कर्नाटक सरकार ने स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में जब संशोधन किया था, तो तभी से लगातार इसका विरोध हुआ। सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगा था।

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कर्नाटक सरकार ने Textbook Panel किया भंग, मचा हुआ था बवाल
मुख्य बातें
  • कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक संशोधन को लेकर मचा हुआ है बवाल
  • बढ़ते विवाद के बीच सरकार ने पाठ्यपुस्तक संशोधन पैनल को किया भंग
  • सरकार पर लग रहा था शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप

बेंगलुरू: संशोधित स्कूली पाठ्यपुस्तकों को लेकर चल रहे विवाद को समाप्त करने के प्रयास में, राज्य सरकार ने शुक्रवार को रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली पाठ्यपुस्तक संशोधन पैनल (Textbook Panel) को भंग करने कर दिया है। इसके अलावा संशोधित पाठ्यपुस्तकों में 12 वीं सदी के समाज सुधारक बसवन्ना के बारे में की गई आपत्तिजनक बिंदुओं की समीक्षा करने और उन्हें हटाने का फैसला किया।

देर रात लिए सीएम ने फैसले

सीएम बसवराज बोम्मई और स्कूली शिक्षा मंत्री बी सी नागेश के बीच शुक्रवार देर रात हुई बैठक के बाद ये फैसले लिए गए। सनेहल्ली मठ के पंडिताध्याय संत और अन्य लोगों ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि पाठ्य पुस्तकों में बसवन्ना के बारे में 'गलत व्याख्या' की गई और गलत तथ्यों को शामिल किया गया। उन्होंने सरकार से इन अध्यायों को तत्काल वापस लेने की मांग की थी। 

हो रही थी आलोचना

देवनुरु महादेवा सहित कई लेखकों ने सरकार पर प्राथमिक शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाते हुए संशोधित पाठ्यपुस्तकों की सामग्री पर कड़ी आपत्ति जताई थी। कुछ ने तो पाठ्यपुस्तकों में अपने कार्यों को शामिल करने की अनुमति भी वापस ले ली थी। सीएम ने बैठक के बाद जारी एक विज्ञप्ति में कहा, 'यदि वर्तमान संस्करण में कोई आपत्तिजनक बिंदु हैं, जिन्हें रोहित चक्रतीर्थ समिति द्वारा संशोधित किया गया है, तो सरकार एक बार फिर पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने के लिए तैयार है।' सीएम ने कहा, 'जहां तक ​​पाठ्यपुस्तक संशोधन समिति का सवाल है, हम इसे भंग कर रहे हैं क्योंकि पाठ्यपुस्तकों का संशोधन पहले ही खत्म हो चुका है।'

साइबर सेल को आदेश

सरकार ने पुलिस साइबर सेल को उस व्यक्ति की पहचान करने का भी आदेश दिया, जिसने ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कुवेम्पु द्वारा लिखे गए राज्य गान (नादगीथे) के छेड़छाड़ वाले संस्करण को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया। पाठ्यपुस्तक विवाद की शुरुआत में चक्रतीर्थ पर राष्ट्रगान को का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन बाद में उन्होंने दावा किया कि यह एक फॉरवर्ड किया गया संदेश था और उन्होंने इसे केवल रीपोस्ट किया था।

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