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Supreme Court: नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के 1 किलोमीटर के दायरे में खनन-निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन

Updated Jun 04, 2022 | 08:28 IST

Supreme Court: देश की सबसे बड़ी अदालत ने शुक्रवार को कहा कि संरक्षित जंगल के इको सेंसेटिव जोन का दायरा एक किलोमीटर का होना चाहिए। साथ ही कहा कि इस एक किलोमीटर में कोई भी स्थाई निर्माण या खनन का काम नहीं होगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
सुप्रीम कोर्ट।
मुख्य बातें
  • संरक्षित जंगलों के इको सेंसटिव जोन का दायरा होगा 1 किलोमीटर- सुप्रीम कोर्ट
  • एक किलोमीटर के दायरे में नहीं होगा निर्माण और खनन का काम- सुप्रीम कोर्ट
  • जमुआ रामगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए होगा 500 मीटर

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के भीतर खनन और स्थाई निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने ये भी निर्देश दिया कि प्रत्येक संरक्षित वन, जो कि एक नेशनल पार्क या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है, उसकी सीमांकित सीमा से कम से कम एक किलोमीटर का इको सेंसेटिव जोन होना चाहिए, जिसमें गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया हो। साथ ही कहा कि 9 फरवरी, 2011 के दिशा-निर्देशों में निर्धारित का कड़ाई से पालन किया जाएगा। 

संरक्षित जंगलों के इको सेंसटिव जोन का दायरा होगा 1 किलोमीटर

कोर्ट ने कहा कि जमुआ रामगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए ये 500 मीटर होगा। ये निर्देश सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने पारित किए। कोर्ट ने कहा कि इस घटना में हालांकि इको सेंसेटिव जोन पहले से ही कानून के अनुसार निर्धारित है, जो एक किलोमीटर बफर जोन से आगे जाता है।

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वहीं कोर्ट ने आगे कहा कि इस संबंध में अंतिम फैसले की प्रतीक्षा में किसी स्पेशल नेशनल पार्क या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए किसी वैधानिक साधन के तहत एक किलोमीटर से अधिक के व्यापक बफर जोन का प्रस्ताव है, तो इस तरह के अंतिम फैसले लेने तक प्रस्तावित के रूप में एक किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करने वाले इको सेंसेटिव जोन को बनाए रखा जाएगा। 

संरक्षित वन क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में नहीं होगा निर्माण और खनन का काम

कोर्ट ने आगे कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक और हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के गृह सचिव सभी नेशलन पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के इको सेंसिटव जोन के अंदर उपयोग की प्रकृति के संबंध में उक्त दिशानिर्देशों के उचित अनुपालन के लिए जिम्मेदार रहेंगे। कोर्ट ने हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को संबंधित इको सेंसेटिव जोन के अंदर मौजूदा संरचनाओं और इससे मिलते-जुलते चीजों की लिस्ट बनाने और तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

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