पटना : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने बुधवार को विपक्षी एकता बनाने के प्रयासों के तहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और देश में जारी समस्याओं के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए भाजपा मुक्त भारत का आह्वान किया। हालांकि, पटना में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह आह्वान करने वाले राव इस सवाल को टाल गए कि संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा और क्या उसमें कांग्रेस को शामिल किया जाएगा। राव ने प्रेसवार्ता के दौरान नीतीश कुमार को बड़े भाई कहकर संबोधित किया।
भाजपा के खिलाफ मुखर रहे राव ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और इसमें कांग्रेस की भूमिका से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि इन चीजों पर समय आने पर फैसला किया जाएगा। हमें कोई जल्दी नहीं है। राव ने आरोप लगाया कि केंद्र की गलत नीतियों के कारण व्यवसायी देश से अपना पैसा निकाल रहे हैं। उन्होंने सशस्त्र बलों में भर्ती की अग्निपथ योजना को किसी भी विपक्षी दल से परामर्श किए बिना लाने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की।
टीआरएस प्रमुख ने निजीकरण की होड़ में जाने और राज्य की चिंताओं के प्रति उदासीनता दिखाने का आरोप भी भाजपा नीत केंद्र सरकार पर लगाया और विशेष श्रेणी की स्थिति के लिए बिहार की मांग को ठुकराने का उदाहरण दिया। केसीआर ने कई साल पहले अमेरिका की यात्रा के दौरान अब की बार ट्रंप सरकार कहने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर तंज किया और इसे राजनयिक भूल बताया। यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में माना जा सकता है, इस पर केसीआर ने कहा, ये बातें हम बाद में तय करेंगे। हालांकि, साथ ही यह भी कहा कि नीतीश कुमार देश के सबसे वरिष्ठ और सर्वश्रेष्ठ नेताओं में शुमार हैं।
नीतीश ने केसीआर के साथ मंच साझा किया, भाजपा और मोदी सरकार पर जमकर बरसे
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को केंद्र की भाजपा नीत सरकार को आड़े हाथ लेते हुए विकास कार्यों के बजाए केवल प्रचार-प्रसार में लगे रहने का आरोप लगाया और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की अपनी मांग के प्रति संवेदनशीलता की कमी को लेकर नाखुशी जताई। यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कुमार ने यह बात कही और इस दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी मंच पर मौजूद रहे।
समारोह के दौरान राव की ओर मुखातिब होते हुए कुमार ने कहा कि आपने इतने बड़े-बड़े काम किये हैं, पर कैसे कोई आपकी आलोचना कर सकता है, यह मेरी समझ से परे है। कुमार के भाषण से पहले राव ने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ गतिरोध में शहीद हुए बिहार के पांच सैनिकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये तथा हैदराबाद में आग की घटना में मारे गए बिहार के 12 प्रवासी मजदूरों के परिवार के सदस्यों को पांच-पांच लाख रुपये के चेक प्रदान किए। कुमार ने राव द्वारा शहीद सैनिकों के परिजनों को अनुग्रह राशि दिए जाने को अनुकरणीय करार दिया।
गौरतलब है कि कुमार ने हाल में भाजपा का साथ छोड़कर सात दलों के महागठबंधन में शामिल होकर बिहार में एक नई सरकार बनाई है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के बिहार आगमन को विपक्षी एकता की दिशा में बढ़ाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। अपने संक्षिप्त भाषण के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने बिहार को क्रांति की भूमि करार देते हुए कहा कि उनका गृह राज्य गोदावरी नदी की भूमि है, जिसे दक्षिण की गंगा कहा जाता है।
कुमार ने आंधप्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाने के लिए किए गए राव के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि तेलंगाना के गठन के लिए आप (राव) तो 2001 से ही संघर्ष कर रहे थे। आज लोग कुछ भी बातें करते हैं लेकिन आपने तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिलवाया है, ऐसे में वहां के लोग आपका साथ कैसे छोड़ेंगे।
कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की उनकी मांग को स्वीकार नहीं करने पर नाखुशी व्यक्त करते हुए कहा कि जिनको कोई काम नहीं करना है, केवल प्रचार-प्रसार करना है, वैसे ही लोग इसतरह की बात करते हैं। कौन से काम किए गए हैं। कोई काम हो रहा है? अब राज्यों को केंद्र से मिलने वाली राशि घट रही है। पहले जितना मिलता था, उससे भी कम मिल रहा है। हम तो साथ गए थे पर अब फिर लौट आए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के एक पिछडा राज्य होने के बावजूद इसे विशेष राज्य का राज्य का दर्जा अबतक नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि विशेष राज्य का दर्जा मिला होता, तो बिहार के आगे बढने के साथ यह राज्य देश के विकास में अहम योगदान दे सकता था। इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव भी मौजूद थे।