- लखीमपुर खीरी, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, रामपुर, हापुड़, शाहजहांपुर, पीलीभीत प्रदेश के गन्ना बेल्ट का हिस्सा हैं।
- गन्ना बेल्ट में करीब 140 विधान सभा सीटें हैं, जहां पर गन्ना किसान और गन्ने की इकोनॉमी सीधा असर डालती है । यहां पर 70 से ज्यादा शुगर मिले हैं।
- लखीमपुर खीरी की कुल आबादी में करीब 2.63 फीसदी आबादी सिखों की है। वह यहां खेती और दूसरे बिजनेस से जुड़े हुए हैं।
नई दिल्ली। कोई भी सत्ताधारी दल, चुनाव से 4 महीने पहले लखीमपुर खीरी जैसी घटना अपने राज्य में नहीं चाहेगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ये नई चुनौती खड़ी हो गई है। यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि लखीमपुर खीरी में हुई मौतों के लिए सीधे भाजपा के नेता निशाने पर हैं। जिले में हिंसप झड़प के दौरान 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई है। और ऐसे में राजनीति पूरी चरम पर है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव को लखीमपुर खीरी जाने से रोकने के लिए हिरासत में ले लिया गया है। जबकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल यादव, राष्ट्रीय लोक दल अध्यक्ष जयंत चौधरी , भीम आर्मी के चंद्रशेखर , टीएमसी सांसदों का 5 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल, छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक भूपेश बघेल, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और किसान नेता राकेश टिकैत ने भी लखीमपुर खीरी जाने का ऐलान कर चुके हैं। खबर लिखे जाने तक इनमें से कई नेताओं को हाउस अरेस्ट भी किया जा चुका है। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अगले कुछ समय के लिए लखीमपुर खीरी राजनीति का नया अखाड़ा बनने वाला है।
स्थानीय निवासी बलजीत सिंह ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि यहां पर पिछले दो दिनों से बाहर से काफी लोग आए है। खीरी बहुत शांत इलाका है। हमें ऐसी हिंसा की उम्मीद नहीं थी। बलजीत सिंह का दावा है कि यहां पर बजाज की 4 शुगर मिलें हैं। और वहां पर किसानों का भुगतना अटका हुआ है। बाकी सरकारी और दूसरी शुगर मिलों में पेमेंट की समस्या नहीं है। मेरा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस हैं, बजाज के साथ ही 50 लाख रुपये का पेमेंट अटका हुआ है।
गन्ना बेल्ट का हिस्सा है लखीमपुर खीरी
लखीमपुर खीरी प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है और यह नेपाल सीमा के करीब है। यह तराई क्षेत्र में आता है। यहां पर 9 शुगर मिल हैं। इसीलिए इसे प्रदेश का चीनी का कटोरा भी कहा जाता है। यहां पर बड़े पैमाने पर किसान गन्ने की खेती करते हैं। इसमें एक बड़ी आबादी सिखों की है। जिले की कुल आबादी में करीब 2.63 फीसदी आबादी सिखों की है। ऐसें में वह यहां खेती और दूसरे बिजनेस से जुड़े हुए हैं। बलजीत कहते हैं इस इलाके में बड़े-बड़े फॉर्म हाउस हैं। करीब 70 फीसदी किसान पंजाबी हैं।
प्रदेश के गन्ना विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2020-21 में प्रदेश में 120 गन्ना मिलें चल रही है। जिसके तहत 27.40 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में गन्ना बोया गया है। 2020-21 में प्रदेश के गन्ना किसानों का 86.17 फीसदी (2 अक्टूबर) तक भुगतान किया जा चुका है। ऐसे में यहां के किसानों के अंदर भुगतान अटकने को लेकर भी नाराजगी है। हालांकि सरकार का दावा है कि अब तक कुल 1,43,500.10 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड भुगतान किया जा चुका है। और 2018-19 और 2019-20 का 100 फीसदी गन्ना भुगतान किसानों का कर दिया गया है।
गन्ना बेल्ट में 140 के करीब सीटें
लखीमपुर खीरी, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, रामपुर, हापुड़, शाहजहांपुर, पीलीभीत प्रदेश के गन्ना बेल्ट का हिस्सा हैं। और इस पूरे इलाके में 70 से ज्यादा शुगर मिले हैं। गन्ना बेल्ट की करीब 140 विधान सभा सीटें हैं, जहां पर गन्ना किसान और गन्ने की इकोनॉमी सीधा असर डालती है इसी वजह से, ताजा घटनाक्रम भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है। खास तौर से पश्चिमी यूपी में पहले से ही किसान आंदोलन ने भाजपा के लिए राह मुश्किल कर दी है। वहां पर जाट पहले से ही भाजपा के खिलाफ एक जुट होते नजर आ रहे हैं। इसे देखते हुए किसान नेता और विपक्ष, लखीमपुर खीरी की घटना से बदले माहौल को देखते हुए, प्रदेश के तराई और दूसरे इलाकों में भी सरकार के खिलाफ लोगों को एकजुट करने का इस्तेमाल कर सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा लगातार यह कोशिश कर रहा है कि, जिस तरह से पश्चिमी यूपी में माहौल बना है, वैसा ही प्रदेश के दूसरे इलाकों में भी स्थिति तैयार हो।
भाजपा सांसद वरूण गांधी ने लिखी चिट्ठी
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सख्त कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने लिखा हैं कि किसानों को निर्दयातापूर्वक कुचलने की जो हृदय-विदारक घटना हुई है, उससे सारे देश के नागरिकों में पीड़ा और रोष है। आंदोलकारी किसान भाई हमारे अपने नागरिक हैं। यदि कुछ मुद्दों को लेकर किसान भाई पीड़ित हैं और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं तो हमें उनके साथ बड़े ही संयम एवं धैर्य के साथ बर्ताव करना चाहिए।
मेरा आपसे निवेदन है कि इस घटना में संलिप्त तमाम संदिग्धों को तत्काल चिन्हित कर आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा कायम कर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए। इस विषय में आदरणीय सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्वारा समयबद्ध सीमा में जांच करवाकर दोषियों को सजा दिलवाना ज्यादा उपयुक्त होगा। इसके अतिरिक्त पीड़ित परिवारों को 1-1 करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिया जाए।
भाजपा को नई चुनौती का है अहसास
लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद , भाजपा को यह अहसास हो चुका है कि चुनावों से पहले यह घटना, पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है। इसीलिए प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है 'विपक्ष लाशों के ऊपर 2022 का राजनीतिक सफर तय करना चाहता है लेकिन ऐसा नहीं होगा। सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। हमारी संवेदनशील सरकार है और गहराई से इसकी जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री ने खुद कहा है कि इस मामले में जो भी दोषी है उसे बख्शा नहीं जाएगा।' जाहिर है सरकार अब डैमेज कंट्रोल में आ गई है, लेकिन अब देखना यह है कि वह इस नई चुनौती से कैसे निपटेगी।