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Madhya Pradesh: शिवराज मंत्रिमंडल का का हुआ विस्तार, जानिए किन 28 चेहरों को मिली जगह

Updated Jul 02, 2020 | 11:54 IST

काफी मशक्कत के बाद आखिरकार शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया है। कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को जगह मिली है।

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शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार, जानिए किन चेहरों को मिली जगह
मुख्य बातें
  • शिवराज कैबिनेट का हुआ विस्तार, 28 चेहरों को मिली जगह
  • नई कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे का दबदबा देखने मिला
  • यह शिवराज सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार, कई नए चेहरों को मौका

भोपाल: मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल का आज दूसरा विस्तार हो गया है। राजभवन में आयोजित समारोह में प्रभारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल 28 मंत्रियों को 11 बजे शपथ दिलाना शुरू किया और यह कार्यक्रम लगभग 50 मिनट तक चला। 20 लोगों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है जबकि 8 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। सिंधिंया खेमे को इसमें ठीक-ठाक प्रतिनिधित्व मिला है। शिवराज खेमे के दो चेहरों को पहले जगह मिल चुकी थी और आज 9 चेहरों को और जगह दी गई है। तो आए जानते हैं हैं शिवराज कैबिनेट में किसे मिली जगह

  1. गोपाल भार्गव- सबसे पहले गोपाल भार्गव ने शपथ ली। गोपाल भार्गव मध्य प्रदेश सरकार में सहकारी, सामाजिक न्याय, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता माने जाने वाले भार्गव 1984 से रेहली का प्रतिनिधित्व करते हुए विधान सभा के आठवीं बार सदस्य हैं।
  2. विजय शाह- गोपाल भार्गव के बाद विजय शाह ने मंत्री पद की शपथ ली। हरसूद विधानसभा से सात बार विधायक रहे विजय साह 3 बार पहले भी मंत्री रह चुके हैं। 
  3. जगदीश देवड़ा- जगदीश देवड़ा ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। मल्हारगढ़ से 6 बार विधायक रह चुके जगदीश दो बाद मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले वह 2003 और 2008 में मंत्री रह चुके हैं।
  4. बिसाहू लाल सिंह- शाह अनूपपूर से पांच बार विधायक रहे हैं। 1993, 2000 और 2003 में मंत्री रह चुके हैं। बिसाहू लाल सिंह ने एक बार फिर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है।
  5. यशोधरा राजे सिधिंया- बीजेपी की प्रमुख चेहरों में शामिल एक बार फिर मंत्री बनी हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ हैं। शिवपुरी से चार बार विधायक रह चुकी हैं। उमा भारती और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुकी हैं।
  6. भूपेंद्र सिंह- 2009 में सागर लोकसभा सांसद रह चुके भूपेंद्र सिंह 20013 में शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। खुराई विधानसभा से विधायक हैं भूपेंद्र सिंह।
  7. ऐंदल सिंह कसाना- चार बार विधायक रह चुके ैंदल सुमावली से पूर्व विधायक रह चुके हैं। चार बार विधायक रह चुके हैं प्रमुख चेहरों में जाने जाते हैं।
  8. बृजेंद्र प्रताप सिंह- मुंगावली विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रहे चुके प्रताप कट्टर सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। 
  9. विस्वास सारंग- नरेला विधानसभा से विधायक सारंग 2013 में भी शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सारंग को बीजेपी का बड़ा चेहरा कहा जाता है।
  10. इमरती देवी- डबरी विधानसभा से पूर्व विधायक इमरती देवी को सिधिंया का कट्टर समर्थक कहा जाता है। वो मुखर होकर कमलनाथ सरकार का विरोध करती रही हैं। डबरा विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं। कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं।
  11. प्रभुराम चौधरी- चौधरी सांची विधानसभा चुनाव से पूर्व विधायक रह चुके हैं। तीन बार विधायक रह चुके चौधरी कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं औऱ उन्हें सिंधिंया का समर्थक कहा जाता है।
  12. महेंद्र सिंह सिसोदिया- महेंद्र सिंह सिसोदिया बमोरी विधानसभा से पूर्व विधायक रह चुके हैं। दो बार विधायक रह चुके सिसोदिया को भी सिंधिंया का कट्टर समर्थक माना जाता है। कमलनाथ सरकार के खिलाफ उन्होंने खुलकर बगावत की थी।
  13. प्रद्युम्न सिंह तोमर- तोमर कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं जिन्हें सिंधिया खेमे का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। ग्वालियर विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं और कमलाथ सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। तोमर को सिंधिंया का कमांडर भी कहा जाता है।
  14. प्रेम सिंह पटेल ने इसके बाद शपथ ली। पटेल बीजेपी के पुराने नेता हैं।  बड़वानी से विधायक हैं। 
  15. ओम प्रकाश संकलेचा- इसके बाद इसके बाद  संकलेचा ने शपथ ली। सकलेंचा मालवा से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता एमपी के सीएम रह चुके हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति में उनका खासा दबदबा है और बीजेपी के बड़े नेता माने जाते हैं।
  16. ऊषा ठाकुर- इंदौर की जाना पहचाना नाम के रूप में जाने वाली ठाकुर महू से विधायक हैं। अपनी सरकार के खिलाफ भी वो मुखर रह चुकी हैं। ठाकुर को कैलाश विजवर्गीय के विरोधी खेमे का माना जाता है।
  17. अरविंद भदौरिया- अरविंद भदौरिया अटेर से दो बार विधायक रह चुके हैं और बीजेपी तथा संघ का जमीनी नेता माना जाता है। कहा जाता है कि कमलनाथ सरकार को गिराने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई। 
  18. मोहन यादव- मोहन यादव ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।उज्जैन दक्षिण से दो बार विधायक रह चुके हैं। मोहन यादव को संघ का समर्पित कार्यकर्ता माना जाता है और एक जमीनी नेता के रूप में जाता है।
  19. हरदीप सिंह डंग- हरदीप सिंह डंग ने सबसे पहले 10 मार्च 2020 को इस्तीफा दिया था। कमलनाथ सरकार से बगावत करने वालों में प्रमुख चेहरा रहे डंग सुवाहसरा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्हें सिंधिया खेमे का माना जाता है।
  20. राजवर्धन सिंह दत्तीगांव- राजवर्धन सिंह दो बार विधायक रह चुके हैं। नरसिंहगढ़ विधानसभा से विधायक हैं। 
  21. भारत सिंह कुशवाहा- भारत सिंह कुशवाहा ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा से विधायक हैं। शिवराज सरकार में इन्हें युवा चेहरा माना जाता है। कुशवाहा को बीजेपी का जमीनी नेता माना जाता है। 
  22. इंदर सिंह परमार- इंदर सिंह परमार सुजालपुर विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं और शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में नए चेहरे हैं।
  23. राम खेलावन पटेल- पटेल अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं और उन्हें कुर्मी समुदाय का बड़ा नेता माना जाता है। 
  24. राम किशोरे कावंरे- रामकिशोर कांवरे ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। परसवाड़ा विधानसभा से विधायक हैं। इन्हें आदिवासी चेहरा माना जाता है। दो बार विधायक रह चुके हैं। ये कांवरे समुदाय से आते हैं
  25. बृजेंद्र सिंह यादव- यादव मुंगावली से दो बार विधायक रह चुके हैं और उन्हें सिंधिंया का कट्टर समर्थक कहा जाता है। कमलनाथ सरकार का खुलकर विरोध किया जाता है।
  26. गिरिराज डंडोतिया- गिरिराज डंडोतिया ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। 
  27. सुरेश धाकड़- सुरेश धाकड़ पोहरी विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। ग्वालियर चंबल संभाग में धाकड़ समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इन्हें सिंधिंया खेमे का समर्थक माना जाता है। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद बेंगलुरु में धाकड़ ने सबसे पहले एंट्री की थी।
  28. ओ.पी.एस. भदोरिया- ओपीएस भदौरिया ने सबसे आखिरी में मंत्री पद की शपथ ली।
     

 इससे पहले राज्य के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बुधवार को देर रात तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा व महामंत्री सुहास भगत की बैठक हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा भेजे गए संभावित मंत्रियों के नामों सहित अन्य नामों पर मंथन किया गया। उसके बाद नामों को अंतिम रूप दे दिया गया।

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