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यूपी में मराठी भाषा को वैकल्पिक करने की मांग, जानें क्या है सियासी मायने

Updated Jun 08, 2022 | 09:54 IST

महाराष्टर बीजेपी के कद्दावर नेता कृपाशंकर सिंह ने यूपी में मराठी भाषा को वैकल्पिक भाषा का दर्जा देने की मांग की है। इस विषय को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है।

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महाराष्ट्र के बीजेपी नेता कृपाशंकर सिंह ने यूपी सरकार से की मांग
मुख्य बातें
  • यूपी में मराठी को वैकल्पिक भाषा किए जाने की मांग
  • महाराष्ट्र के बीजेपी नेता कृपाशंकर सिंह ने उठाई आवाज
  • पायलट तौर पर वाराणसी क्षेत्र में अपनाए जाने पर विचार

क्या यूपी में मराठी भाषा को वैकल्पिक दर्जा मिलेगा यह तो देखने वाली बात होगी। लेकिन महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता कृपाशंकर सिंह ने यूपी सरकार से अपील की है कि मराठी को वैकल्पिक भाषा का दर्जा दिए जाए। उनकी यह मांग कितनी उपयोगी और प्रासंगिक है यह बहस का मुद्दा हो सकता है लेकिन शिवसेना और एमएनएस के लिए बीजेपी ने राजनीतिक चुनौती जरूर पेश की है।

महाराष्ट्र के बीजेपी नेता ने की मांग
बीजेपी नेता कृपा शंकर सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक छात्रों के लिए मराठी को वैकल्पिक भाषा के रूप में शामिल करने का अनुरोध किया है। पत्र में आगे कहा गया है कि यह छात्रों को महाराष्ट्र में बेहतर नौकरी पाने में मदद कर सकता है। लेकिन इस मांग को सियासी तौर पर भी देखा जा रहा है। उत्तर भारतीयों के मुद्दे पर एमएनएस का रुख पहले से कड़ा रहा है। एमएनएस का कहना है कि गैर मराठी लोग महाराष्ट्र की नौकरियों पर कब्जा कर रहे हैं। 

मराठी भाषा पर एक नजर
महाराष्ट्र और गोवा की आधिकारिक राजभाषा
विश्व में 10वें नंबर पर और भारत में तीसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा
देवनागरी प्रचलित लिपि, कदंब और मोडी ऐतिहासिक
मराठी भाषा का 2000 वर्षों से अस्तित्व

यूपी सरकार सैद्धांतिक तौर पर सहमत !
सूत्रों की माने तो सीएमओ इस सुझाव से सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं। सीएमओ इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वाराणसी क्षेत्र में अपनाने पर विचार कर रहा है।यह पत्र महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर विवाद को आकर्षित कर सकता है क्योंकि मनसे महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों/बाहरी लोगों के लिए सरकारी नौकरी के अवसरों का विरोध कर रहा था, जबकि शिवसेना भी भूमिपुत्रों की प्राथमिकताओं के बारे में बात कर रही है।

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि बीजेपी नेता की मांग को महाराष्ट्र के संदर्भ के तौर पर देखा जाना चाहिए। जब एमएनएस के साथ भूमिपुत्रों के मुद्दे को शिवसेना उठा रही है तो स्वाभाविक तौर पर बीजेपी को लगता है कि परप्रांतियों को आकर्षित करने के लिए यह बेहतर विषय हो सकता है। आने वाले कुछ महीनों में सभी दलों को बीएमसी के चुनाव में उतरना है और मुंबई के साथ साथ उपनगरीय इलाकों में भोजपुरी भाषा बोलने वालों की तादाद ज्यादा है जो आम तौर पर यूपी से आते हैं ऐसे में यूपी में मराठी भाषा को बीजेपी का सियासी दांव माना जा रहा है। 

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