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1971 में हुई हार के बाद भी पाकिस्तान में मानेकशॉ का हुआ था भव्य स्वागत, सिपाही ने पैरों में रख दी थी पगड़ी

मुकुन्द झा | प्रोड्यूसर
Updated Dec 17, 2021 | 20:35 IST

गवर्नर ने कहा कि बाहर मेरा स्टाफ खड़ा है वो आपसे हाथ मिलाना चाहते हैं। सैम बाहर आए और देखा सभी लाइन में खड़े थे। सैम सबसे हाथ मिलाने लगे तो एक शख्स ने अपनी पगड़ी उतारकर सैम के पैरों में रख दी।

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जंग खत्म होने के 2 महीने के बाद सैम पाकिस्तान गए थे।

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने 71 की जंग में अग्रणी भूमिका निभाई थी। मानेकशॉ एक ऐसे योद्धा हैं जिनकी गाथा भारतीय सेना सालों साल तक गाएगी और सीना गर्व से चौड़ा कर उनके किस्से सुनाएगी। सैम मानेकशॉ जितने वीर योद्धा थे उतने ही प्रोफेशनल आर्मी मैन भी थे। इसके कई किस्से कई उदाहरण हैं। हम ऐसे ही एक किस्से का जिक्र करने जा रहे हैं। साल 2002 में सैम ने अपने पोते को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें सैम ने काफी बातें की थी। सैम कैसे एक प्रोफेशनल आर्मी मैन थे इसका एक किस्सा खुद सैम ने सुनाया था।

सैम पाकिस्तान गए थे
बात है 1972 की। जंग खत्म होने के 2 महीने के बाद सैम पाकिस्तान गए थे। पाकिस्तान में लाहौर के गवर्नर ने सैम मानेकशॉ को लंच पर बुलाया। सैम ने बताया था कि उनको फर्स्ट क्लास वेलकम मिला और लंच हुआ। लंच से पहले उनको मार्टिनी भी सर्व की गई। लंच हुआ। गवर्नर ने सैम से कहा कि मुझे आपसे एक फेवर चाहिए। सैम ने कहा कैसा फेवर बताइए मैं जरूर करूंगा।

पगड़ी उतारकर सैम के पैरों में रख दी
गवर्नर ने कहा कि बाहर मेरा स्टाफ खड़ा है वो आपसे हाथ मिलाना चाहते हैं। सैम बाहर आए और देखा सभी लाइन में खड़े थे। सैम सबसे हाथ मिलाने लगे तो एक शख्स ने अपनी पगड़ी उतारकर सैम के पैरों में रख दी। सैम हैरान हो गए और पगड़ी उठाकर वापस उनको पकड़ाई और पूछा कि ऐसा क्यों किया?  उस शख्स ने सैम को जवाब दिया हुजूर आप थे इसलिए हमारी जानें बच गई। मेरे 5 लड़के आज भी आपके यहां कैदी हैं। उनकी चिट्ठी आती रहती है। वो बताते हैं कि आपने सभी को कुरान शरीफ दी है और वो बैरक के अंदर सोते हैं और आपके सैनिक बाहर सोते हैं। आप जब भी जाते हैं सबसे हाथ मिलाते हैं। उनके साथ लंगर में खाना खाते हैं।

सैम सबकुछ ध्यान से सुन रहे थे। वो शख्स अपनी बात कहे जा रहा था। उसने कहा कि मैं मान गया कि हिंदू खराब नहीं हैं सैम जब ये किस्सा सुना रहे थे तो वो खुद मुस्कुरा रहे थे। शायद इसलिए भी कि सैम हिंदू नहीं थे और वो पाकिस्तानी शख्स उनको हिंदू समझ रहा था।  खैर, सैम आगे बढ़े और अपने पोते को बताने लगे कि पाकिस्तानी शख्स उनकी तारीफ कर रहा था लेकिन इधर देश में नेता, मंत्री, सब उनकी शिकायतें कर रहे थे। सैम को लेकर ये कहा जाता था कि दुश्मन फौज के सैनिकों को चीफ साब जमाई की तरह रखते हैं।

कैबिनेट में मीटिंग में जब ऐसी बातें होते तो एक बार इंदिरा गांधी ने सैम की तरफ देखा। सैम ने इंदिरा को देखा और कहा कि वो सिपाही हैं और वो लड़े और बेहतरीन लड़े और वो हार गए। मैं सिर्फ सिपाहियों की देखरेख कर रहा हूं। इंदिरा गांधी ने ये सब सुनकर कहा।।। ओह वो जंग।।।मैं जंग के बारे में सब भूल चुकी हूं। एक जेंटलमैन एक प्रोफेशनल।।ऐसे ही थे हमारे सैम बहादुर।।
 

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