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महबूबा बोली- जब तक अनुच्छेद 370 बहाल नहीं होता, नहीं लड़ूंगी चुनाव

Updated Jun 26, 2021 | 06:56 IST

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बड़ा राजनीतिक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं केंद्र शासित प्रदेश के तहत कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी।

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जब तक अनुच्छेद 370 बहाल नहीं होता, नहीं लड़ूंगी चुनाव:महबूबा
मुख्य बातें
  • महबूबा बोलीं- जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ ‘दिल की दूरी' मिटाने की जरूरत
  • जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त करने के लिए पारित किए गए आदेश निरस्त हों- महबूबा

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जब तक राज्य का विशेष दर्जा बहाल नहीं होता यानि अनुच्छेद 370 बहाल नहीं होता, तब तक वो चुनाव नहीं लड़ेगी। महबूबा मुफ्ती ने जोर देकर कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि राज्य के लोगों के साथ "दिल की दूरी" खत्म हो।

तो नहीं लड़ूंगी चुनाव

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर में उत्पीड़न के युग को समाप्त करना होगा। उन्होंने साफ किया कि यदि जम्मू कश्मीर में चुनाव हुए और उनकी पार्टी जीत गई तब भी वह मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी। महबूबा ने कहा, ‘मैंने कई बार स्पष्ट किया है कि मैं केंद्र शासित प्रदेश के तहत कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी, लेकिन साथ ही मेरी पार्टी इस तथ्य से भी अवगत है कि हम किसी को राजनीतिक स्थान नहीं लेने देंगे। हमने पिछले साल जिला विकास परिषद का चुनाव लड़ा था।’

पीएम के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में हुईं थी शामिल

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के लिए आगे की राह पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहीं महबूबा ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वास बहाली के कई उपाय करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इनमें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों के पर्यटन और व्यापारिक समुदाय को राहत प्रदान करना शामिल है। पीडीपी नेता ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ दिल की दूरी को कम करना होगा और इसके लिए पारित सभी कठोर आदेशों पर अमल को रोकना होगा। आजकल जम्मू-कश्मीर में दमन का युग है।’

महबूबा ने कहा, ‘जिस किसी को भी किसी अधिकारी के खिलाफ शिकायत होती है, उसे ऐहतियाती हिरासत में डाल दिया जाता है, ट्विटर पर वास्तविक भावनाओं को उजागर करने से आपको जेल हो जाती है। क्या इसे ही लोकतंत्र कहा जाता है। इस तरह की कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगाने और लोगों को खुलकर सांस लेने देने की तत्काल आवश्यकता है।’

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