नई दिल्ली: कोरोना के कहर के चलते अब न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं, जबकि मौतों का आंकड़ा भी लगातार ऊपर जा रहा है। इसी के चलते कई जगहों से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है, जहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में जगह तक की कमी पड़ गई है। श्मशानों में शवों की लाइनें लग रही है। गुजरात के सूरत से ऐसी ही हैरान और परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आ रही हैं।
यहां इतने शव जलाए जा रहे हैं कि बिजली शवदाह गृह की भट्ठियां पिघल गई हैं। सूरत के कुछ श्मशान घाटों पर भट्टियों की चिमनियां पिघल गई हैं या टूट गई है क्योंकि शवों के जमावड़े से निपटने के लिए उनका इस्तेमाल 24X7 किया जा रहा है।
शवों की संख्या में तीन गुना वृद्धि
'इंडिया टुडे' की खबर के अनुसार, रामनाथ घीला, अश्विनी कुमार और जहांगीरपुरी तीनों श्मशान घाटों का लगातार उपयोग किया जा रहा है। इसी के चलते तीनों श्मशान घाटों पर गैस की भट्टियों का पिघलना शुरू हो गया है। पिछले आठ-दस दिनों में सूरत में कोरोना से मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और कोविड के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है। रामनाथ घीला श्मशान में प्रतिदिन शवों की संख्या में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। श्मशान के प्रमुख का कहना है कि यहां हर दिन लगभग 100 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
वर्तमान में अश्विनी कुमार श्मशान में दो भट्टियां काम नहीं कर रही हैं। लगातार उपयोग के कारण भट्ठी के फ्रेम पिघल गए हैं और गैस बर्नर बंद हो रहे हैं। शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों पर अभी भी 8-10 घंटे का इंतजार किया जा रहा है।
24 घंटे जल रही गैस भट्ठी
पिछले दो दिनों में कोविड-19 से सूरत शहर में हर दिन 18-19 लोगों की मौत हुई हैं। शवदाह गृह का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष कमलेश सेलर ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत होने के पहले कुरुक्षेत्र शवदाह गृह में हर दिन करीब 20 शवों का अंतिम संस्कार होता था। अब यह संख्या बढ़ गई है। फिलहाल रोज करीब 100 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है।' सेलर ने कहा कि शवदाह गृह में छह गैस भट्ठी 24 घंटे जल रही हैं और तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।