- लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों का अंत होता नहीं दिख रहा
- मजदूरों की स्थिति पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकारों ने जवाब मांगा है
- कोर्ट ने उन्हें सुरक्षित यात्रा, आश्रय व भोजन मुहैया कराए जाने पर जोर दिया है
भोपाल/नई दिल्ली : कोरोना वायरस/लॉकडाउन के बीच मजदूरों की मुश्किलों का अंत होता नहीं दिख रहा है। हालांकि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए और दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें और बसें चलाई गई हैं, लेकिन वास्तव में उनकी परेशानियां अब भी बरकरार हैं। हजारों की तादाद में इन मजदूरों ने अपने गृह राज्यों तक पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल या साइकिल से की है।
सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिकों पर लिया संज्ञान
प्रवासी मजदूरों को सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर सरकारें भले ही तमाम दावे कर रही हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है, जिसकी बानगी एक बार मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में नजर आई है, जहां प्रवासी मजदूर शौचालय परिसर में रहने को मजबूर हैं। मजदूरों की इस तरह की दयनीय स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है और केंद्र व राज्यों में सत्तारूढ़ सरकारों से इस पर जवाब तलब किया है।
'प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत'
प्रवासियों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने समाचार-पत्रों व मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर मंगलवार को इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया और साफ कहा कि भले ही केंद्र व राज्य सरकारों ने कदम उठाए हैं, पर वे अब भी अपर्याप्त हैं और इसमें निश्चित खामियां भी हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए और प्रभावी व ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
अब 28 मई को होगी सुनवाई
पीठ ने कहा कि मजदूरों का पैदल या साइकिल से ही सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकलना उनकी 'दुर्भाग्यपूर्ण व दयनीय' दशा को दर्शाता है। अब भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों, राजमार्गों, रेलवे स्टेशनों, राज्यों की सीमाओं पर फंसे हैं। उन्हें सुरक्षित यात्रा, आश्रय व भोजन मुहैया कराए जाने की जरूरत है, वह भी बिना शुल्क। शीर्श अदालत ने इस मामले में केंद्र व राज्यों की सरकारों से जवाब भी मांगा और मामले की सुनवाई 28 मई तक के लिए स्थगित कर दी।
शौचालय परिसर में रहने को मजबूर
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय में आया है, जबकि आए दिन मजदूरों की दयनीय हालत से जुड़ी रिपोर्ट्स लगातार सामने आ रही हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में प्रवासी मजदूर शौचालय परिसर में रहने को मजबूर हैं। मामले ने तूल पकड़ा तो यहां के एडिशनल कलेक्टर आरएस बलोदिया ने सफाई देते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के रहने के लिए गोदाम में व्यवस्था की गई है। उन्हें शौचालय में क्यों ठहरना पड़ा, इसकी जांच की जाएगी।