- पोम्पिओ ने कहा, भारत के साथ खड़ा है अमेरिका
- भारत और अमेरिका ने महत्वपूर्ण रक्षा समझौते बीईसीए पर हस्ताक्षर किए
- अमेरिका के दोनों मंत्री राष्ट्रीय समर स्मारक गए औ शहीदों को श्रद्धांजलि दी
नई दिल्ली: भारत दौरे पर आए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन के साथ हिंसक झड़प में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत का जिक्र किया और कहा कि अमेरिका किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारत के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि हम भारत की संप्रभुता के खतरों से निपटने में उसके साथ खड़े हैं। अमेरिका और भारत के बीच हमारे लोकतंत्रों और साझा मूल्यों की रक्षा के लिए बेहतर तालमेल है। हम संपूर्ण सुरक्षा खतरों से निपटने के लिये संबंधों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं न कि सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की चुनौती के मद्देनजर।
वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा तालमेल में वृद्धि हुई है, हिन्द-प्रशांत हमारी चर्चा का एक केंद्र रहा। पड़ोसी देशों को लेकर भी चर्चा हुई। हमने स्पष्ट किया कि सीमा पार आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
BECA पर हुए हस्ताक्षर
मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के अपने समकक्षों क्रमश: माइक पोम्पिओ और मार्क एस्पर के साथ वार्ता की। भारत और अमेरिका ने महत्वपूर्ण रक्षा समझौते, बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते (BECA) पर दस्तखत किए। 'टू प्लस टू' वार्ता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। अमेरिका के साथ बीईसीए समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ सैन्य स्तर का हमारा सहयोग बहुत बेहतर तरीके से आगे बढ़ रहा है, रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं की पहचान की गई। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए फिर से अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं। वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्पर ने कहा, 'हमारा रक्षा सहयोग निरंतर बढ़ता रहेगा।'
पोम्पिओ ने कहा कि यात्रा के दौरान वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सम्मान में बलिदान देने वाले शहीदों, जिनमें जून में गलवान घाटी में चीन की पीएलए द्वारा मारे गए 20 भारतीय सैन्यकर्मी भी शामिल हैं, को श्रद्धांजलि देने समर स्मारक भी गए। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना करते हुए पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिकी नेता और नागरिक बढ़ती स्पष्टता के साथ यह देख पा रहे हैं कि सीसीपी लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता की मित्र नहीं है।