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मोती लाल वोरा का क्या है कनेक्शन, जिनका सोनिया और राहुल ईडी की पूछताछ में ले रहे हैं नाम

Updated Jul 28, 2022 | 19:33 IST

National Herald Case: दिवंगत मोती लाल वोरा साल 2000 से लेकर 2018 के बीच कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष थे। और साल 2002 में वह एजेएल के एमडी भी बनाए गए थे।

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मोती लाल वोरा का नेशनल हेराल्ड से क्या था कनेक्शन
मुख्य बातें
  • नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने मोतीलाल वोरा के खिलाफ भी जांच की थी
  • सोनिया और राहुल गांधी दोनों ने ईडी से पूछताछ में मोतीलाल वोरा का नाम लिया था।
  • मोती लाल वोरा दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस में अब ईडी की पूछताछ गांधी परिवार के दो सदस्यों तक पहुंच चुकी है। पहले राहुल गांधी और अब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ हो रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस पूछताछ में एक ऐसा नाम है, जिसका जिक्र राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों कर रहे हैं। दोनों नेताओं से एजेएल (AJL) और यंग इंडिया के बीच हुए सौदे को लेकर जब सवाल पूछे गए तो उन्हें दिवंगत नेता मोती लाल वोरा का नाम लिया है। दोनों नेताओं का कहना है कि इस बारे में उनके पास ही जानकारी थी। असल में मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में से एक रहे हैं और करीब 18 साल वह पार्टी के ट्रेजरर (कोषाध्यक्ष) रहे थे। और साल 2020 में 93 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

मोतीलाल वोरा से क्या है नाता

दिवंगत मोती लाल वोरा साल 2000 से लेकर 2018 के बीच कांग्रेस पार्टी के ट्रेजरर (कोषाध्यक्ष) थे। और यही वजह है कि नेशनल हेराल्ड मामले में जो भी कांग्रेस पार्टी के तरफ से लेन-देन हुए, उसके बारे में वोरा को जानकारी होने का दावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी कर रहे हैं। और इसके पहले इसी तरह का दावा ईडी के सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल भी कर चुके हैं।

आजादी के बाद, 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को गैर वाणिज्यिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त कर दिया गया था। लेकिन लगातार घाटे में चलने की वजह से 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को बंद कर दिया गया। उस वक्त कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज था। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने साल 2008 में 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई कंपनी बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया। 

नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर कर्ज दिया। और बाद में यंग इंडिया ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया। अहम बात यह है कि इस लेन-देन के बीच साल 2002 में वोरा एजेएल के एमडी  भी बने थे। 

इसके बाद यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये के कर्ज वसूली के अधिकार प्राप्त करने के लिए एजेएल को मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया। और यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले 90 करोड़ के कर्ज को माफ कर दिया और एजेएल पर यंग इंडिया का नियंत्रण हो गया। इसी लेन-देन पर सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई। और इसी आधार पर अब ईडी पूरे मामले की जांच कर रही है।

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दो बार मुख्यमंत्री और राज्यपाल रह चुके थे वोरा

कांग्रेस के 18 साल कोषाध्यक्ष रहने के पहले मोतीलाल वोरा दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। वह साल 1985 से लेकर 1989 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद उन्होंने 1993 से 1996 के बीच उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद भी संभाला। वैसे तो नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने मोतीलाल वोरा के खिलाफ भी जांच की थी, लेकिन 2020 में उनकी मौत के बाद उनके खिलाफ केस बंद कर दिया गया। जब राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ हुई थी और मोतीलाल वोरा का नाम सामने आया था, उस वक्त उनके बेटे अरुण वोरा ने कहा था कि उनके पिता के नाम पर कोई शेयर नहीं था।और न ही उनकी इस मामले में अपने पिता के साथ कभी कोई बात हुई। वोरा ने यह भी कहा  था कि राहुल गांधी ऐसे आरोप नहीं लगा सकते हैं। इस तरह के आरोप बेबुनि‍याद हैं।

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