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Hyderabad: लॉ यूनिवर्सिटी ने उठाया अहम कदम, तैयार किया जेंडर-न्यूट्रल स्पेस

Updated Mar 27, 2022 | 09:18 IST

हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च ने एक अहम कदम उठाया है। यह कदम Gender-Neutral Space की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।

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Hyderabad: लॉ यूनिवर्सिटी ने बनाया जेंडर-न्यूट्रल स्पेस
मुख्य बातें
  • हैदराबाद स्थित NALSAR ने Gender-Neutral Space किया तैयार
  • परिसर, छात्रावास में Gender-Neutral Space के साथ वॉशरूम भी किया गया अलग
  • यूनिवर्सिटी ने कहा- सुरक्षित और समावेशी परिसर बनाना है उद्देश्य

हैदराबाद: हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से एक घोषणा की, जो उनके परिसर को अधिक समावेशी बनाएगा। ट्वीट में कहा गया है कि हैदराबाद के जस्टिस सिटी, शमीरपेट में उनके परिसर के जीएच -6 के भूतल को 'लैंगिक-तटस्थ स्थान (Gender-Neutral Space ) के रूप में नामित किया गया है, जिसमें एलजीबीटीक्यू + समुदाय के सदस्यों के के लिए आवंटित कमरे हैं।' कुलपति फैजान मुस्तफा ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य एक सुरक्षित और समावेशी परिसर बनाना है।

ट्वीट कर दी जानकारी

यह ट्वीट ट्विटर हैंडल @NALSAR_Official द्वारा शनिवार, 26 मार्च की सुबह किया गया जिसमें यह भी उल्लेख किया कि नियत समय में जेंडर न्यूट्रल छात्रावासों के लिए योजनाएँ चल रही हैं। ट्वीट में बताया गया है कि शैक्षणिक ब्लॉक के भूतल पर स्थित वॉशरूम को भी जेंडर न्यूट्रल शौचालय के रूप में नामित किया गया है। NALSAR के रजिस्ट्रार प्रो. वी बालाकिस्ता रेड्डी ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि यह संस्थान के अधिक मिलनसार और समावेशी होने का तरीका है।

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इसलिए उठाया गया है कदम

प्रो. बालाकिस्ता ने बताया, 'ये सभी संस्थान को अधिक समावेशी और सभी के लिए आरामदायक बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। विश्वविद्यालय के पास पहले से ही LGBTQ+ समुदाय की समावेशिता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक अंतरिम नीति है और एक अंतिम नीति का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में है, जैसा कि ट्वीट में उल्लेख किया गया है।' इस ट्वीट को लोग जमकर शेयर कर रहे हैं और तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं।

आपको बता दें कि जून 2015 में, एक 22 वर्षीय बीए एलएलबी छात्र ने स्नातक प्रमाणपत्र में लिंग द्वारा पहचान न करने का अनुरोध किया। विश्वविद्यालय ने तुरंत अनुरोध स्वीकार कर लिया और "एमएक्स" के तटस्थ उपसर्ग का इस्तेमाल किया। यह संस्थान द्वारा समावेशी बनाने के प्रयासों की शुरुआत थी।

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