लाइव टीवी

Narendra Modi Birthday:स्वामी विवेकानंद की PM मोदी पर गहरी छाप, संन्यास के फैसले से लेकर राजनीति तक का नाता

Updated Sep 17, 2022 | 07:00 IST

Narendra Modi Birthday: रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानंद का मोदी के जीवन पर ऐसा प्रभाव रहा है कि नरेंद्र मोदी युवा अवस्था में ही संन्यास की राह पर चलना चाह रहे थे। लेकिन बेलूर मठ के प्रमुख ने उन्हें नई दिशा दी ।

Loading ...
एकता यात्रा के समय नरेंद्र मोदी,फोटो: ट्विटर,मोदी आर्काइव
मुख्य बातें
  • नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में बेलूर मठ में जाकर रात बिताई। ऐसा करने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे।
  • साल 2012 में भी स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण के शताब्दी वर्ष में गुजरात में युवा विकास यात्रा निकाली थी।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वामी विवेकानंद के भाषणों के संकलन की एक दुर्लभ किताब भी भेंट की थी।

Narendra Modi Birthday:बात मई 2015 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कमरे में 15 मिनट तक ध्यान लगाए बैठे हुए थे। वह एक पादुका के पास बैठे। वह काफी भावुक हुए जा रहे थे। कमरे में पूरी दुनिया पर असर डालने वाले एक ऐसे संत का सामान था, जिनका नरेंद्र मोदी से गहरा नाता रहा है। कमरा उनके प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद का था। जो कोलकाता के बेलूर मठ में मौजूद हैं। रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानंद का मोदी के जीवन पर ऐसा प्रभाव रहा है कि नरेंद्र मोदी युवा अवस्था में ही संन्यास की राह पर चलना चाह रहे थे। लेकिन बेलूर मठ के प्रमुख ने उन्हें नई दिशा दी और कहा कि वे लोगों की खातिर काम करने के लिए बने हैं न कि संन्यास के लिए। और उसके बाद से युवा नरेंद्र मोदी की दिशा ही बदल गई। नरेंद्र मोदी का मठ और स्वामी विवेकानंद से अटूट नाता जुड़ गया।

पहले प्रधानमंत्री जो बेलूर मठ में रुके 

नरेंद्र मोदी का बेलूर मठ से नाता प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नहीं टूटा। उन्होंने साल 2020 में बेलूर मठ में जाकर रात बिताई। ऐसा करने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे। इसी तरह जब 2015 में रामकृष्ण मठ और मिशन के प्रमुख स्वामी आत्मास्थानंद महाराज का निधन हुआ था, तो नरेंद्र मोदी ने उसे अपनी व्यक्तिगत क्षति बताया था। नरेंद्र मोदी के जीवन में स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण मिशन की छाप हर कदम पर दिखाई देती है। यह उसी का असर है कि स्वामी विवेकानंद लगातार उन्हें सेवा के लिए प्रेरित करते रहे हैं।

डायरी में नोट करते थे विवेकानंद की प्रेरक बातें

स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का ही असर रहा है कि युवा अवस्था से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अपनी व्यक्तिगत डायरी में उनकी प्रेरणादायी कथन और प्रसंगों को संकलित करते रहे हैं। और उन प्रेरणादयी बातों को साधु, संतों से भी लगातार चर्चा करते थे। साथ ही स्वामी विवेकानंद का युवाओं पर कैसे असर हुआ। इसको भी समझने की कोशिश करते थे।

स्रोत: ट्विटर,Modi Archive

विवेकानंद शिला से शुरू हुई थी एकता यात्रा

जब भारतीय जनता पार्टी ने साल 1991 में मुरली मनोहर जोशी की अगुआई में एकता यात्रा शुरू की। तो उस यात्री का पूरी जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी के कंधों पर थी। 45 दिन की इस यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला से की गई थी।

इसी तरह साल 1893 में स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक भाषण के 100 साल पूरे होने पर, वाशिंगटन में उन्हें ग्लोबल विजन 2000 कनवेंशन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस कन्वेंशन में 60 देशों के 10 हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस अवसर पर अमेरिका में नरेंद्र मोदी ने एक युवा कॉन्क्लेव का भी आयोजन किया था।

2012 में निकाली थी युवा विकास यात्रा

मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने साल 2012 में भी स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण के शताब्दी वर्ष में गुजरात में युवा विकास यात्रा निकाली थी। मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वामी विवेकानंद के भाषणों के संकलन की एक दुर्लभ किताब भी भेंट की थी। न केवल यात्रा और आयोजन के जरिए नरेंद्र मोदी ने विवेकानंद से अपना नाता जोड़ा बल्कि  युवा अवस्था में विदेश यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के लोगों से मिलकर स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और उसके प्रसार के लिए क्या कदम उठाए और उन के बारे में चर्चा करते रहे।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।