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National Farmers Day 2020: आज क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय किसान दिवस, जानें इतिहास और महत्व

Updated Dec 23, 2020 | 06:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Kisan Diwas 2020: राष्ट्रीय किसान दिवस हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। ये भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर मनाया जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
किसान दिवस
मुख्य बातें
  • 23 दिसंबर को मनाया जाता है राष्ट्रीय किसान दिवस
  • इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था
  • 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया

National Farmers Day 2020: इस साल राष्ट्रीय किसान दिवस ऐसे मौके पर पड़ रहा है, जब देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान समाज की रीढ़ हैं। ये वे लोग हैं जो इसलिए काम करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग भूखे न रहें और उन्हें अन्न उपलब्ध हो सके। इसलिए किसानों को अन्नदाता भी कहते हैं। किसानों का समाज में जो योगदान है, उसके लिए उन्हें सम्मानित किया जा सके, इसलिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल किसान दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय किसान दिवस हर साल विशेष रूप से उन राज्यों में मनाया जाता है जो अन्य राज्यों की तुलना में सक्रिय रूप से खेती करते हैं, जैसे- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि। भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर किसान दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 23 दिसंबर, 1902 को हुआ था। चौधरी चरण सिंह ने एक बार कहा था, 'सच्चा भारत इसके गांवों में बसता है।' भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकांश आबादी का आय का मुख्य स्रोत खेती है।

2001 में किसान दिवस की घोषणा

किसान नेता चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक बहुत कम समय के लिए देश की सेवा की। उन्होंने किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं पेश कीं और किसानों पर कई पुस्तकें लिखीं और उनकी समस्याओं के के लिए कई समाधान भी सुझाए, ताकि राष्ट्र के किसानों के जीवन में सुधार आ सके। इसलिए सरकार ने 2001 में चरण सिंह की जयंती को किसान दिवस के रूप में चिह्नित करने का निर्णय लिया। चौधरी चरण सिंह ने भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रसिद्ध नारे- 'जय जवान, जय किसान' का अनुसरण किया।

किसानों के हित में फैसले
 
चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने गए। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की।

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