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नोएडा ट्विन टावर डेमोलिशन काउंटडाउन शुरू, इस रिपोर्ट से दूर होंगे हजारों लोगों के डर और शंकाएं

Updated Aug 27, 2022 | 06:00 IST

नोएडा ट्विन टावर्सको गिराने का काम मुंबई की 'एडिफिस इंजीनियरिंग' कंपनी दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी 'जेट डिमोलिशंस' के साथ मिलकर करने वाली है। ट्विन टावर के पास रहने वाले हजारों लोगों के मन में डर है, शंकाएं हैं और कई सवाल हैं। इसीलिए हम ऐसी रिपोर्ट लेकर आए हैं, जो इनके डर को दूर करेगी।

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नोएडा ट्विन टावर गिराने का काउंटडाउन शुरू

दिल्ली के पास नोएडा में करप्शन के ट्विन टावर को मलबे में बदलने जा रहा है। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। काउंटडाउन शुरू हो चुका है। बस ब्लास्ट का बटन दबने भर की देरी है। लेकिन ट्विन टावर के पास रहने वाले हजारों लोगों के मन में डर है, शंकाएं हैं और कई सवाल हैं। इसीलिए हम ऐसी रिपोर्ट लेकर आए हैं, जो इनके डर को दूर करेगी। कुछ इसी तरह बारुदी ब्लास्ट होगा। जोरधार धमाका होगा और भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े नोएडा के ट्विन टावर मलबे में बदल जाएंगे। सिर्फ 9 सेकंड में। सुपरटेक ट्विन टॉवर के अपेक्स टावर 32 मंजिल का है। सियाने टावर 29 फ्लोर का। कुतुबमीनार से भी ऊंची ये बिल्डिंग सिर्फ 9 सेकंड में गायब हो जाएगी। काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अबतक हिंदुस्तान में इतने ऊंचे टावर को कंट्रोल्ड डिमोलेशन के जरिए नहीं गिराया गया है। ऐसे में बिल्डिंग गिराने का काम, इस ट्विन टावर को खड़े करने के काम से भी ज्यादा मुश्किल होने वाला है। 800 करोड़ रुपए से खड़े हुए करप्शन के टावर को गिराने का काम मुंबई की 'एडिफिस इंजीनियरिंग' कंपनी दक्षिण अफ्रीका की अपनी साझेदारी कंपनी 'जेट डिमोलिशंस' के साथ मिलकर करने वाली है।

इसे ध्वस्त करने के लिए 3 हजार 700 किलो से ज्यादा के विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। विस्फोटकों में डेटोनेटर, इमल्शन और शॉक ट्यूब का इस्तेमाल होगा। दोनों टावर्स में बारूद लगाने का काम पूरा कर लिया गया है। सुपरटेक के ट्विन टावर की ऊंचाई 100 मीटर है और इसे गिराने वाली कंपनी ने अंदाजा लगाया है कि जब यह दोनों टावर गिरेंगे तो लगभग 3 हजार ट्रक मलबा निकलेगा। मलबे में लगभग 4 हजार टन स्टील होगा। ट्विन टावर जब गिरेगा तो मलबे के साथ 35,000 घन मीटर धूल का गुबार भी पैदा होगा। इस मलबे को ढोने के लिए ट्रक करीब 1200 से 1300 चक्कर लगाएंगे। मलबे को साफ होने में कम से कम 3 महीने का वक्त लगेगा। जो मलबा निकलेगा उसकी कीमत 13 करोड़ तक होगी। टावर को गिराने में करीब 18 करोड रुपए का खर्च आएगा।

तैयारी ऐसी है कि करप्शन के टावर को इस तरह ढहाया जाए, जिससे ना तो लोगों को दिक्कत हो ना ही आस पास की सोसायटी को नुकसान पहुंचे।  28 अगस्त को सुपरटेक के जो ट्विन टावर गिराए जाने हैं, उसके आस पास छोटी बड़ी 6 सोसायटी हैं। इनमें 1400 फ्लैट्स हैं। 8000 लोग रहते हैं। 2700 के करीब गाड़ियां हैं। जिन्हें 28 तारीख को सुबह सुबह शिफ्ट कर दिया जाएगा।

ट्विन टावर के गिरने पर एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि ये दोनों ट्विन टावर के बेहद करीब हैं। इसलिए यहां रहने वालों की टेंशन हाई है। तमाम सुरक्षा तैयारियों के बाद भी दहशत है कि लोगों के दिलों से बाहर नहीं निकल रहा है।

स्थानीय निवासी को डर है कि ब्लास्ट के बाद पास की सोसायटीज़ में भूकंप के झटके महसूस हो सकते हैं। जिससे सोसायटी को नुकसान पहुंच सकता है। विस्फोट से जो झटका आएगा, उससे नींव कमजोर हो सकती है। दीवारें दरक सकती हैं। फ्लैट्स की खिड़कियां और शीशे टूट सकते हैं।

मलबा, बारूदी धूल-गुबार और पॉल्यूशन तो परेशानी बढ़ाएगा ही। खौफ में सिर्फ सोसायटी में रहने वाले लोग ही नहीं है, वो भी हैं, जो आस पास दुकानें लगाते हैं।डर स्वाभाविक है। क्योंकि देश में पहली बार इस तरह, सबसे ऊंची इमारत को धराशाई किया जा रहा है। लेकिन सच ये भी है कि किसी अनहोनी की आशंका ना के बराबर है। क्योंकि ये जिम्मा उन कंपनियों के पास है, जो इसी काम में माहिर हैं। क्योंकि इसके लिए हर जरूरी तैयारी कर ली गई है। ट्विन टॉवर के चारों ओर की सड़कों पर ट्रैफिक बंद रहेगा। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे भी 2 से 3 बजे तक बंद रहेगा। इलाके में ड्रोन उड़ाने पर पाबंदी लगा दी गई है। ये सब इसलिए ताकि अनहोनी की आशंका शून्य हो।

तैयारियां ऐसी हैं कि खतरे की कोई गुंजाइश नहीं है। फिर भी फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, अस्पताल और मेडिकल टीम रेडी मोड में रहेंगी।टावर गिरने के बाद सबसे ज्यादा खतरा वायु प्रदूषण का है। इसी बात से आस पास के लोग बेहद डरे हुए हैं। लेकिन इससे निबटने की तैयारी भी पूरी है। अब उस शख्स से मिलिए, जिसे आजकल ब्लास्टमैन या ब्लास्टर के नाम से जाना जा रहा है। ये हैं चेतन दत्ता। जो 28 अगस्त को दोपहर ढाई बजे ब्लास्ट का बटन दबाएंगे। जो भ्रष्टाचार के ट्विन टावर को मलबा बनाएंगे। क्या इस धमाके से आस पास की सोसायटी को खतरा है। क्या लोगों को डरने की जरूरत है। अगर नहीं, तो क्यों, ये भी ब्लास्टमैन से ही सुनिए।

देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब दो सबसे बड़े और ऊंचे टावर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिराया जा रहा है। दो चीजें ऐसी थीं, जो पूरे ऑपरेशन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा थीं। इसीलिए बहुत ही हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ऑपरेशन डेमोलिशन से जुड़े CBRI के चीफ साइंटिस्ट भी ऐलान कर रहे हैं कि लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। तो सुरक्षा चक्र मजबूत बन चुका है। बस उस पल का इंतजार है, जब करप्शन के टावर पर बारूदी प्रहार होगा।
 

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