- देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आंतरिक कलह के दौर से गुजर रही है
- पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में पार्टी के भीतर गुटबाजी साफ नजर आती है
- पार्टी के हालात को देखते हुए सवाल नेतृत्व की क्षमताओं पर भी उठ रहे हैं
नई दिल्ली : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस मौजूदा वक्त में संकट के दौर से गुजर रही है। पार्टी कई राज्यों में सत्ता से दूर है, जबकि पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान में सरकार चला रही है। हालांकि इनमें कोई भी राज्य नहीं है, जहां से कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह की खबरें नहीं आ रही हैं। पार्टी जिन राज्यों में विपक्ष में है या फिर गठबंधन सरकार चला रही है, वहां भी कमोवेश यही स्थिति है और अलग-अलग गुट अपना-अपना वर्चस्व स्थापित करने में जुटे हैं।
पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही पावर पॉलिटिक्स ने सोनिया और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कलह भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, जहां सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए रस्साकशी बढ़ती ही जा रही है। राजस्थान में भी सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में टकराव की स्थिति बनी हुई है।
मौजूदा वक्त में कांग्रेस की जो हालत है, उसे देखते हुए यही लगता है कि देश की 'ग्रैंड ओल्ड' पार्टी हर जगह खुद से ही लड़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 2024 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस की यही तैयारी है? कांग्रेस के मौजूदा हालात को देखते हुए सवाल पार्टी आलाकमान की क्षमता पर भी उठ रहे हैं। सवाल यह भी उठता है कि जो कांग्रेस खुद से लड़ रही है, वो 2024 में मोदी से कैसे लड़ेगी? क्या वो 2024 तक अपने घर में लगी झगड़े की आग को ही बुझाती रह जाएगी?
Times Now नवभारत के कार्यक्रम Opinion India Ka में इस मसले पर कई विशेषज्ञों से बात की गई। कार्यक्रम में अफगानिस्तान-तालिबान संकट के बीच काबुल विस्फोट और इस्लामिक स्टेट के खुरासन गुट तथा तालिबान के बीच कनेक्शन को लेकर भी सवाल किया गया।