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Cheetah In India: भारत से मिला दुनिया को 'चीता' का नाम, कूनो में 20 बसाए जाएंगे ,जानें हमारे के लिए क्यों जरूरी

Updated Sep 17, 2022 | 07:14 IST

Cheetah In India: चीता खाद्य श्रृंखला का सबसे शीर्ष जीव है। और उसके न होने से पूरी खाद्य श्रृंखला पर असर दिखता है। भारत में चीता ,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीसा, तमिलनाडु में पाए जाते थे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
चीता खाद्य श्रृंखला का शीर्ष जीव है।
मुख्य बातें
  • 110 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकता है चीता
  • चीता में मादा की 14-15 साल तक उम्र होती है। जबकि नर चीता की उम्र 10-12 साल होती है।
  • दुनिया में इस समय 17 देशों में कुल 7000 चीतें हैं।

Cheetah In India:सत्तर साल बाद भारत में फिर से चीतों की वापसी हो रही है। देश में आखिरी बार चीते को साल 1947 में देखा गया था। भारत में लुप्त हो चुके इस जीव को नामीबिया से लाकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में शनिवार को छोड़ा जाएगा। इस ऐतिहासिक मौके पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। चीते का दोबारा भारत में पुर्नवास की कोशिश पहली बार की जा रही है। इस प्रक्रिया में कुल 20 चीते लाने का प्लान है। पहले चरण में 8 चीते बसाए जा रहे हैं। भारत सरकार अगले 5 साल में कूनो नेशनल पार्क में कुल 20 चीतों का पुर्नवास करना चाहती है। यह घटना इसलिए भी ऐतिहासिक है कि दुनिया में इस समय केवल 17 देशों में ही चीते मौजूद हैं। जिनकी कुल संख्या 7000 के करीब है।

चीता क्यों है जरूरी

हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चीता क्यों जरूरी है, इस पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, चीता खाद्य श्रृंखला का सबसे शीर्ष जीव है। और उसके न  होने  से पूरी खाद्य श्रृंखला पर असर दिखता है। भारत में चीता ,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीसा, तमिलनाडु में पाए जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या खत्म हो गई और उसका असर चीते के एरिया के भू-क्षेत्र पर भी दिखा। वहां का पूरा इकोसिस्टम खत्म हो गया। कई शाकाहरी जीव का इन इलाकों से अस्तित्व खत्म हो गया। जिसकी वह से घास के मैदान भी नष्ट हुए। जिसका असर पर्यावरण पर भी दिख रहा है। 

भारत से लिया गया है चीता शब्द

अधिकारी के अनुसार चीता शब्द का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। और उसकी उत्पति भी भारत से हुई है। और अंग्रेजी में भी इसे चीता ही कहा जाता है। जहां तक नामीबिया से चीता लाने का सवाल है तो एशिया और अफ्रीके की चीते में आनुवांशिकी के आधार पर समानताएं हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि नामीबिया से लाए गए  8 चीते, यहां के वातावरण से अनुकूलन स्थापित कर लेंगे। कूनो नेशनल पार्क की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां पर 20 चीतों को बसाया जा सकता है। सरकार नामीबिया से मंगाए गए 8 चीतों के अलावा 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से भी मंगाएगी। मंत्रालय के अनुसार कूनो नेशनल पार्क का चयन से पहले 10 जगहों की पहचान की गई थी। जिसमें कूनो को चीतों के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया। 

110 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से  दौड़ सकता है चीता

चीता अपनी रफ्तार के लिए  पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। जंगली चीता में मादा की 14-15 साल तक उम्र होती है। जबकि नर चीता की उम्र 10-12 साल होती है। मादा चीता एक बार में 2-5 चीते जन्म दे सकती है। और उसका गर्भ अवधि 90 दिन की होती है। एक समय में भारत में चीतों की बड़ी संख्या था। लेकिन शिकार और दूसरे जानवरों के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाने से  उनकी संख्या में  तेजी से गिरावट आई। ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ के कोरिया के महाराजा ने 1947 में देश में आखिरी तीन चीतों को मार डाला था। जिसके बाद भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था।

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जागरूकता के लिए 5 लाख बच्चों से संपर्क

मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारत में चीतों के पुनर्वास के लिए दशकों से प्रयास चल रहे हैं। 17 अक्टूबर को जब चीते कूनो के जंगलों में छोड़े जाएंगे। तो वह अपने आप में एक बड़ी घटना होगी। इस ऐतिहासिक घटना के बारे में ज्यादा से ज्यादा बच्चे  जान सके, इसके लिए करीब 5 लाख बच्चों से ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से संपर्क किया गया है। और उन्हें चीते के महत्व के बारे में बताए गए है। जो आने वाले समय में चीते के संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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