इस देश में मुस्लिम तुष्टीकरण के खेल ने कैसे सिस्टम को जकड़ कर रखा था। इसके खुलासे हैरान करते हैं। Times Now नवभारत ने 1995 के वक्फ कानून के जरिये वक्फ लैंड घोटाले का सच सामने रखा है। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में बना ये कानून वक्फ बोर्ड को बेहिसाब पावर देता है। Times Now नवभारत पर आपको तमिलनाडु के त्रिची के एक गांव का सच आपको दिखाया गया है, जहां पूरा का पूरा गांव वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। यहां तक कि 1500 साल पुराना हिंदू मंदिर भी वक्फ की जमीन पर है, जबकि इस्लाम 1300 साल पहले शुरू हुआ।
हमने आज आपको 2014 के चुनाव के ठीक पहले दिल्ली में 123 सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड को दान करने वाली मनमोहन सरकार की मेहरबानी का Exclusive खुलासा किया है। हमारे पास ये डॉक्यूमेंट्स हैं, जिनको हम आपको दिखा रहे हैं। सवाल पब्लिक है कि क्या वोट बैंक की मजबूरी में सेकुलरवाद का भ्रम फैलाया गया? 1995 में कानून और 2014 में जमीन ट्रांसफर, कांग्रेस का वक्फ लैंड घोटाला किस दबाव में हुआ? यही है आज सवाल पब्लिक का।
5 मार्च 2014 को मनमोहन सरकार ने एक सरकारी गजट निकाला। गजट क्या था - दिल्ली में Land and Development office की 61 और दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी DDA की 62 संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी जाएंगी। जब ये नोटिफिकेशन निकला, तब देश में चुनाव आचार संहिता लागू थी। इस नोटिफिकेशन के प्वाइंट नंबर 1 में कहा गया -No compensation shall be paid by the government or DDA or other Government entities in respect of such properties.
अब इस को पढ़कर कोई कहेगा कि जैसे सरकार वक्फ बोर्ड पर सख्त है और कह रही है कि कोई मुआवजा नहीं देंगे लेकिन प्वाइंट नंबर 2 कहता है -Cases pertatining to the said properties filed by the Delhi Waqf Board against the governemt or Delhi development Authority pending in any court of law shall be withdrawn first.
अब सोचिए दिल्ली वक्फ बोर्ड सरकार पर संपत्तियों के लिए मुकदमा करती है और मुकदमा वापस लेने के नाम पर वक्फ बोर्ड को संपत्तियां दे दी जाती हैं। इन 123 संपत्तियों में कैसी-कैसी संपत्तियां हैं, आप इसे देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे।
- 29/1, जे पी हॉस्पिटल के भीतर पक्का मजार।
- 49/1, मस्जिद और कब्रिस्तान, तुर्कमान गेट, रामलीला ग्राउंड।
- इंडिया गेट के पास मान सिंह रोड पर 7/1 जपटा गंज मस्जिद।
- 4/1, इरविन रोड पर हनुमान मंदिर के पास मस्जिद।
- 60/1, संसद भवन के पास।
सरकारी जमीनों को वक्फ बोर्ड को सौंपने के फैसले के खिलाफ VHP ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन उसकी अपील ये कहकर ठुकरायी गई थी कि सभी संबंधित पक्षों से बातचीत कर केंद्र सरकार फैसला करे। 2016 में DDA ने इस पर एक वन मैन कमिटी भी बनायी थी। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सरकार का पक्ष मांगा गया है। अब मैं आपको वक्फ कानून 1995 के कुछ प्रावधानों को बताती हूं जिससे संपत्तियों को लेकर सरकार से वक्फ बोर्ड की मुकदमेबाजी की पिक्चर आपको Clear होगी।
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 40
अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई संपत्ति उसकी है तो वो उसकी जांच कर सकता है और अगर बोर्ड ये मान ले कि ये संपत्ति उसकी है तो वो उस संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित कर सकता है ।
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 54
वक्फ बोर्ड सिर्फ किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति ही नहीं घोषित कर सकता बल्कि वो उस संपत्ति पर Encroachment को हटाने के लिए डीएम को भी कह सकता है। डीएम को ऐसी संपत्ति को खाली करवाना होगा।
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 85
-इसके तहत अगर कोई मामला वक्फ से जुड़ा हुआ है तो उसे किसी सिविल, राजस्व कोर्ट या किसी अन्य प्राधिकरण में चैलेंज नहीं कर सकते।
अगर आपकी संपत्ति को वक्फ घोषित कर दिया जाए और आप इसके खिलाफ हैं तो आप सिविल कोर्ट में नहीं जाएंगे बल्कि आपको वक्फ ट्रिब्यूनल में जाना होगा।
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 83
इस सेक्शन में साफ लिखा है कि वक्फ ट्रिब्यूनल के पास वैसे ही पावर होंगी जैसे सिविल कोर्ट के पास होती है। ट्रिब्यूनल का फैसला फाइनल होगा। उसे सभी पक्षों को मानना होगा। ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती। सिर्फ हाईकोर्ट के पास ये पावर होगी कि अगर कोई अपील करे या खुद से वो ट्रिब्यूनल के फैसले की Legality check कर सकता है।
आपको बता दूं कि वक्फ कानून 1995 को दिल्ली हाई कोर्ट में एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने चुनौती दी है। इसमें जमीयत उलमा-ए-हिंद पार्टी बन चुका है। आज दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में नोटिस देकर केंद्र से 4 नवंबर तक उसका पक्ष मांगा है। अब ये बेहद सुविधाजनक है कि वक्फ से संपत्ति विवाद हो तो पावर वक्फ बोर्ड के पास और चुनाव हों तो मुकदमे से बचने के नाम पर बोर्ड को संपत्ति ट्रांसफर।
मनमोहन सरकार ने सरकारी संपत्तियां तो वक्फ को ट्रांसफर कर दीं, लेकिन वो आम लोग क्या करें जिनका वक्फ बोर्ड्स से संपत्ति विवाद चल रहा है। आपने Times Now नवभारत पर त्रिची के गांव की कहानी देखी, जहां मंदिरों समेत गांव की पूरी जमीन वक्फ की संपत्ति है।
हम आपको ऐसे कुछ और लोगों के बयान सुनवाते हैं जिनका वक्फ बोर्ड्स के साथ संपत्ति विवाद चल रहा है। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड्स के पास है। वक्फ बोर्ड्स की कुल संपत्तियों की कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ से ज्यादा है। मनमोहन सरकार ने मार्च 2014 में दिल्ली में सरकारी संपत्तियों को वक्फ को ट्रांसफर किया, लेकिन उसी साल जनवरी में डॉ मनमोहन सिंह ने क्या कहा था, आपको सुनवाते हैं।
सवाल पब्लिक का
1. क्या वक्फ एक्ट 1995, देश के सेकुलर ढांचे के खिलाफ है?
2. क्या सरकारी संपत्तियों को वक्फ को देने का मनमोहन सरकार का फैसला खतरनाक था?
3. हिंदुस्तान में जो अधिकार किसी दूसरे धर्म के पास नहीं, वो वक्फ के पास क्यों?