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नहीं रहे पद्म अवार्डी मौलाना वहीदुद्दीन, अयोध्या मसले पर सुझाया था सुलह का 'विकल्प'

Updated Apr 22, 2021 | 08:47 IST

नई दिल्ली स्थित इस्लामिक सेंटर के वह संस्थापक रहे। उन्होंने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के लिए अपना एक 'शांति फॉर्मूला' दिया। अपने इस 'विकल्प' के लिए वह सुर्खियों में रहे।

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नहीं रहे पद्म अवार्डी मौलाना वहीदुद्दीन।
मुख्य बातें
  • इस्लाम के बड़े जानकारों में शामिल थे मौलाना वहीदुद्दीन खान
  • कुरान का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में किया, 200 किताबें लिखीं
  • अयोध्या मसले के समाधान के लिए मौलाना ने सुझाया था विकल्प

मुंबई : जाने-माने इस्लामिक विद्वान एवं पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित मौलाना वहीदुद्दीन खान का 97 साल की अवस्था में बुधवार रात निधन हो गया। वह कोरोना से संक्रमित थे। खान अपने परिवार में दो बेटों और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। मौलाना वहीदुद्दीन की पहचान इस्लाम के एक बड़े विद्वान के रूप में रही है। उन्होंने अयोध्या मसले के समधाना के लिए एक 'विकल्प' भी पेश किया था। मौलाना के बेटे ने बताया कि एक सप्ताह पहले सीने में संक्रमण की शिकायत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उनकी कोविड-19 की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई।

पीएम ने दुख जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशहूर इस्लामी विद्वान मौलाना वहीदुद्दीन खान के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि धर्मशास्त्र तथा आध्यात्मिक ज्ञान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। पीएम ने कहा, ‘मौलाना वहीदुद्दीन खान के निधन से दुख हुआ। धर्मशास्त्र और अध्यात्म के मामलों में गहरी जानकारी रखने के लिए उन्हें याद किया जाएगा। वह सामुदायिक सेवा और सामाजिक सशक्तीकरण को लेकर भी बेहद गंभीर थे। परिजनों और उनके असंख्य शुभचिंतकों के प्रति मैं संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’

आजमगढ़ में हुआ था जन्म
मौलाना का जन्म साल 1925 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पारंपरिक रूप से हुई। उदारवादी प्रवृत्ति के पक्षधर मौलाना अपने जीवन भर सौहार्दपूर्ण समाज के बारे में हमेशा अपनी राय रखी। साथ ही उन्होंने कुरान की चरमपंथी एवं कट्टरवादी व्याख्याओं के खिलाफ मुहिम छेड़ी। मौलाना ने 200 से ज्यादा किताबें लिखीं। उन्होंने कुरान का अनुवाद अंग्रेजी और हिंदी में किया। इस्लाम पर उनके भाषण यूट्यूब पर उपलब्ध हैं और ये काफी लोकप्रिय हैं। 

अयोध्या विवाद पर शांति के लिए सुझाया था 'रास्ता' 
नई दिल्ली स्थित इस्लामिक सेंटर के वह संस्थापक रहे। उन्होंने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के लिए अपना एक 'शांति फॉर्मूला' दिया। अपने इस 'विकल्प' के लिए वह सुर्खियों में रहे। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के दावे को छोड़ देने की सलाह दी लेकिन उनके इस सुझाव को खारिज कर दिया गया। मौलाना के अयोध्या पर सुझाव को जाने-माने विधिवेत्ता नानी पालखीवाला ने अत्यंत 'संतुलित समाधान' बताया। मौलना ने कहा था कि अयोध्या में मुस्लिमों को अपने दावे को छोड़ देना चाहिए और हिंदू समुदाय को यह भरोसा देना चाहिए कि वह मथुरा एवं काशी पर कोई विवाद खड़ा नहीं करेगा। 

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