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- भारतीय वायु सेना ने जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण केंद्र बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की थी
- अभिनंदन ने जो वीरता एवं पराक्रम दिखाया, वह हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया
- दुश्मन के हाथों पकड़े जाने के बावजूद उनके तेवर एवं साहस में कोई कमी नहीं आई
नई दिल्ली : बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद 27 फरवरी 2019 को विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने जो वीरता एवं पराक्रम दिखाया, वह हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है। इस दिन अभिनंदन ने न केवल पाकिस्तानी वायु सेना के ताकतवर लड़ाकू एफ-16 को मार गिराया बल्कि दुश्मन के हाथों पकड़े जाने के बावजूद उनके तेवर एवं साहस में कोई कमी नहीं आई। वह पूरे सम्मान के साथ वापस स्वदेश लौटे। भारतीय वायु सेना की ताकत से दुनिया पहले से परिचित थी लेकिन अभिनंदन ने जो कारनामा किया वह भारतीय पायलटों की काबिलियत एवं कौशल का नायाब नमूना थी।
दरअसर, पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायु सेना ने आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण केंद्र बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की। बालाकोट पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित है। आईएएफ के इस हमले में 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए। इनमें जैश के कमांडर, प्रशिक्षणकर्ता एवं अन्य आतंकी शामिल थे।
खास बात यह है कि आईएएफ की इस कार्रवाई की पाकिस्तानी सेना को भनक तक नहीं लगी। बालाकोट पर मिराज-2000 ने बम गिराए थे। आईएएफ के लड़ाकू विमान जब वापस आ गए तब जाकर पाकिस्तान को इस बात की जानकारी हुई।
पाक वायु सेना के विमानों का पीछा करने वालों में अभिनंदन भी थे
इसके अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तान के लड़ाकू विमान जम्मू-कश्मीर में भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हुए। उन्होंने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हुए बम गिराए। इसी दौरान आईएएफ के लड़ाकू विमानों ने उनका पीछा किया। पाक वायु सेना के विमानों का पीछा करने वालों में अभिनंदन भी थे। उन्होंने अपने मिग-21 बाइसन विमान से अपने से ज्यादा उन्नत एवं तकनीकी रूप से बेहतर पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया। पाकिस्तान को यह विमान अमेरिका से मिले हैं। पाकिस्तानी विमानों से उलझने के दौरान एक मिसाइल उनके मिग-21 में आकर लगी जिसके बाद उन्हें पैराशूट की मदद से नीचे उतरना पड़ा।
अभिनंदन की सकुशल वापसी भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी
अभिनंदन जब अपने विमान से नीचे उतरे तो उन्होंने खुद को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाया। यहां स्थानीय पुलिसकर्मियों ने अभिनंदन को पकड़कर पाक सेना के हवाले कर दिया। अभिनंदन की सकुशल वापसी भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी। अपने पायलट की रिहाई के लिए भारत ने कूटनीतिक रूप से एंड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पाकिस्तान पर इतना अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया कि वह चाहकर भी अभिनंदन का कोई नुकसान नहीं कर पाया। रिपोर्टों की मानें तो भारत ने सऊदी अरब के जरिए यह साफ कर दिया था कि अगर अभिनंदन की रिहाई में देरी हुई या उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान पहुंचा तो भारत सैन्य कार्रवाई करने में देर नहीं लगाएगा।
पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा इतने डर गए थे कि उनके पैर कांप रहे थे
भारत की तैयारी एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे पाकिस्तान को झुकना पड़ा और उसने तीसरे दिन अभिनंदन को रिहा करने का फैसला किया। अभिनंदन की रिहाई का दबाव पाकिस्तान पर कितना था उसे पाक सांसद अयाज सादिक के बयान से समझा जा सकता है। सादिक ने कहा कि अभिनंदन की रिहाई के लिए पाकिस्तान पर जबर्दस्त दबाव था। पाकिस्तान उस दिन रात नौ बजे तक यदि अभिनंदन को रिहा नहीं करता तो भारत उस पर हमला कर देता। इस बात से पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा इतने डर गए थे कि उनके पैर कांप रहे थे और उन्हें पसीना आ रहा था।