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Dhakad Exclusive: 32 साल बाद कश्मीर में 'पिक्चर क्रांति' ! नए कश्मीर की 'पिक्चर' Hit है! 

Updated Sep 20, 2022 | 20:35 IST

हिंदुस्तान के स्विट्जरलैंड में एक क्रांति हुई है ये क्रांति है पिक्चर क्रांति। कश्मीर के लोगों से उनके मनोजरंजन का हक 3 दशक से पहले आतंकवादियों ने छीन लिया था, 32 साल तक कश्मीर के लोग सिनेमा हॉल में फिल्में देखने के लिए तरस रहते लेकिन अब मोदी सरकार में उसी कश्मीर ने आतंकवाद पर इंटरटेनमेंट की चोट की है। 

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Jammu-Kashmir के LG Manoj Sinha ने Pulwama और Shopian जिलों में INOX Cinema Halls का उद्घाटन किया। कश्मीरी लोगों को करीब तीन दशक के बाद बड़ी स्क्रीन पर फिल्म देखने का मौका मिल रहा है। बता दें कि घाटी में 1980 के दशक के अंत तक लगभग एक दर्जन सिनेमा हॉल (Cinema Hall) थे, लेकिन दो आतंकवादी संगठनों द्वारा धमकाए जाने के बाद उन्हें बंद करना पड़ा।

श्रीनगर के लोगों को मल्टीप्लेक्स का तोहफा मिला है....ये शानदार मल्टीप्लेक्स वहां के लोगों के मनोरंजन के लिए खुल गया है । आप सोच रहे होंगे कि एक मल्टीप्लेक्स खुला है...उसमें कौन सी बड़ी बात है...बड़ी बात है क्योंकि श्रीनगर के लोग 32 साल बाद अब थिएलर में फिल्मों का आनंद ले सकेंगे...जी हां...32 साल बाद । फिल्में देखकर अपना मनोरंजन करना....श्रीनगर के लोग भूल चुके थे, एक पीढ़ी निकल गई...जिसने सिनेमाहॉल में फिल्में नहीं देखी...श्रीनगर के युवाओं को पता तक नहीं होगा कि बड़े पर्दे पर फिल्म देखना क्या होता है...

मनोज सिन्हा ने श्रीनगर के शिवपोरा इलाके में INOX मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन किया । इस मल्टीप्लेक्स में-

  • 3 स्क्रीन हैं..यानी एक वक्त में तीन-तीन फिल्में चल सकती हैं ।
  • मल्टीप्लेक्स में 520 लोगों के बैठने की क्षमता है
  • मल्टीप्लेक्स में लेटेस्ट साउंड सिस्टम लगाया गया है
  • मल्टीप्लेक्स में फूड कोर्ट भी है

मल्टीप्लेक्स आतंकवाद पर इंटरटेनमेंट की बहुत बड़ी चोट

श्रीनगर में खुला ये मल्टीप्लेक्स आतंकवाद पर इंटरटेनमेंट की बहुत बड़ी चोट है । ऐसा इसलिए क्योंकि एक दौर था...जब आतंकवाद के कारण ही श्रीनगर ही बल्कि पूरे कश्मीर घाटी में लोगों को सिनेमा हॉल से दूर रहना पड़ा । 90 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद का नामो निशान नहीं था....तब वहां कई थिएटर और सिनेमा हॉल हुआ करते थे....सबसे पहला सिनेमा हॉल श्रीनगर में सन 1932 में शुरू हुआ था । उस सिनेमाहॉल का नाम था पलेडियम । रीगल, सिराज, नीलम, ब्रॉडवे, खैयाम और नाज नाम से श्रीनगर में कई सिनेमा हॉल हुआ करते थे..

...उस वक्त थिएटर मालिकों ने घाटी में सिनेमा हॉल बंद कर दिए

लेकिन जब कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू किया...तो आतंकवादियों ने सबसे पहले कश्मीर घाटी में लोगों के मनोरंजन के साधनों को बंद करवाना शुरू कर दिया । 1989-90 में आतंकवादियों  की धमकियों और हमलों के कारण थिएटर मालिकों ने घाटी में सिनेमा हॉल बंद कर दिए ।आतंकवाद के कारण श्रीनगर में ही नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर के दूसरे जिलों में भी सिनेमाहॉल नहीं थे । साल 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर में 3 थियेटर खुलवाए थे.लेकिन तब दो थियेटरों पर आतंकियों ने ग्रेनेड हमला कर दिया, जिसके बाद कश्मीर में सारे सिनेमा हॉल बंद हो गए। 

5 अगस्त 2019 को कश्मीर में नई क्रांति लिखी गई । आतंकवाद और अलगाववाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कई कदम उठाए गए..लेकिन इस क्रांति में एक अध्याय जो बचा गया था...वो था कश्मीर के लोगों को उनके मनोरंजन का अधिकार फिर से दिलवाना...32 साल बाद श्रीनगर के लोगों को फिर से  बड़े पर्दे पर फिल्में देखने का मौका मिल गया है । 

J&K के शोपियां और पुलवामा में भी सिनेमाहॉल का उद्घाटन किया गया

इंटेरटेनमेंट के जरिए आतंकवाद को चोट पहुंचाने का काम सिर्फ श्रीनगर में नहीं हुआ है..बल्कि आतंकवादियों के गढ़ में भी हुआ । दक्षिण कश्मीर जिसे कश्मीर घाटी में आतंकवाद का गढ़ माना जाता है...वहां भी अब सिनेमाहॉल के दरवाजे खुल चुके हैं । 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर के शोपियां और पुलवामा में भी सिनेमाहॉल का उद्घाटन किया गया । इन 2 जिलों में सिंगल स्क्रीन वाला सिनेमाहॉल कम मल्टीपर्पज हॉल खुल गया । दोनों ही जिलों में पहले दिन स्कूल के बच्चों से फिल्मों का लुत्फ उठाया । 

हिजाब में छात्राओं ने और स्कूल यूनिफॉर्म में छात्रों ने फिल्म देखीं

आतंकवाद प्रभावित शोपियां और पुलवामा में सिनेमाहॉल का खुलना...आतंकवाद के मुंह पर करारा तमाचा है । कश्मीर में सिनेमा क्रांति अभी खत्म नहीं हुई है ।

तीन जिलों में सिनेमाहॉल खुलने के बाद कश्मीर के हर जिले में 100 सीटों वाला सिनेमाहॉल खोलने की तैयारी चल रही है । 

अनंतनाग
बांदीपोरा
गांदरबल
डोडा
राजौरी
पुंछ
किश्तवाड़
रियासी

में मिशन यूथ के तहत सिनेमाहॉल खोले जाएंगे।

कश्मीर के बच्चे अब वक्त के साथ खुद को बदल रहे हैं

कश्मीर बदल रहा है वहां के लोगों की सोच बदल रही है कश्मीर के युवा धर्म और जाति का भेदभाव भूलकर महात्मा गांधी का प्रिय भजन गुनगुना रहे हैं । कश्मीर के बच्चे अब वक्त के साथ खुद को बदल रहे हैं....लेकिन कश्मीर के राजनीतिक दल और अलगाववादी नेताओं की सोच नहीं बदल रही है । गांधी जी के भजन पर महबूबा मुफ्ती जहर उगल रही हैं ।  महबूबा मुफ्ती को गांधी जी के प्रिय भजन में भी हिंदुत्ववादी एजेंडा दिखाई दे रहा है। कश्मीर में हो रहे बदलाव महबूबा मुफ्ती को नहीं दिखते..उन्हें दिखती है सिर्फ राजनीति... उनका मकसद लगता है सिर्फ कश्मीर के आम लोगों को भड़काना । वैसे भड़काने और धमकाने का जो काम महबूबा मुफ्ती राजनीति में रहते हुए कर रही हैं....कुछ वैसा ही काम आतंकी संगठन भी कर रहे हैं।

कश्मीर में सिनेमाहॉल की शुरुआत क्या हुई, आतंकी संगठनों को मिर्ची लग गई

कश्मीर में सिनेमाहॉल की शुरुआत क्या हुई...आतंकी संगठनों को मिर्ची लग गई । इसलिए लश्कर के सहयोगी आतंकी संगठन TRF ने 90 के दशक वाली धमकी दी है ।  TRF ने लिखा है...ये हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला है । पाठ्यक्रम और मनोरंजन के नाम पर समाज में गंदगी फैलाने की कोशिश की जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा। रेजिस्टेंस फाइटर्स जानते हैं कि कहां और कब हमला करना है,आतंकवादियों की इस गीदड़भभकी से अब कश्मीरी नहीं डरने वाले । ये आतंकवाद को सीधी चुनौती ही है कि शोपियां, पुलवामा और श्रीनगर में सिनेमाहॉल, मल्टीप्लेक्स खुल गए हैं और भविष्य में पूरे जम्मू कश्मीर में ऐसे ही सिनेमाहॉल खुलेंगे।

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