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बेहद दमदार है Jr NTR की राजनीतिक विरासत,RRR जैसा चुनाव में करेगी कमाल !

Updated Aug 23, 2022 | 16:08 IST

Jr NTR Meeting With Amit Shah: तेलगु फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता एन.टी.रामाराव ने 1982 में तेलगुदेशम पार्टी बनाई थी और 1983 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को पटखनी दे दी थी। और उसके बाद तीन बार वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। जूनियर एनटीआर उन्हीं के पोते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
जूनियर एनटीआर क्या भाजपा के आएंगे काम !
मुख्य बातें
  • अगर जूनियर एनटीआर भाजपा के साथ जुड़ते हैं तो उनकी लोकप्रियता का फायदा पार्टी को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में मिल सकता है।
  • हाल ही में भाजपा ने केवी विजयेंद्र प्रसाद को राज्य सभा भेजा है।
  • भाजपा का मिशन दक्षिण पर फोकस है और पहला पड़ाव तेलंगाना है।

Jr NTR Meeting With Amit Shah:अविभाजित आंध्र प्रदेश में एक समय कांग्रेस पार्टी का कोई विकल्प हो सकता है, इसकी कल्पना भी बेमानी थी। उसमें भी इंदिरा गांधी जैसे मजबूत नेता के होते हुए तो यह सोचना और संभव नहीं था। लेकिन कांग्रेस हार भी सकती है, इसे हकीकत में एक ऐसे नेता ने कर दिखाया जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। जी हां एन.टी.रामाराव या एनटीआर ने अपने सिनेमाई करिश्मा का फायदा उठाकर 1983 के चुनाव में यह कर दिखाया। और पहली बार गैर कांग्रेस सरकार यानी तलेगुदेशम पार्टी की सरकार एनटीआर के नेतृत्व में बनीं। 

एनटीआर की वहीं करिश्मा फिर चर्चा में है। वजह एनटीआर के पोते और सुपर हिट फिल्म RRR के अभिनेता जूनियर एनटीआर की भाजपा के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से सोमवार को हुई मुलाकात है। हालांकि न तो भाजपा की  तरफ से जूनियर एनटीआर की राजनीतिक पारी का कोई बयान आया है और न ही अभिनेता के तरफ से कोई बयान है। लेकिन दोनों ने इस मुलाकात को सोशल मीडिया पर शेयर जरूर किया है। जिसके बाद से कई अटकलें शुरू हो गई हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि एक तो जूनियर एनटीआर के पास एक बड़ी राजनीतिक विरासत है। दूसरी तरफ उन्होंने 2009 के चुनाव में तेलगुदेशम पार्टी यानी चंद्र बाबू नायडू के लिए प्रचार भी किया था। हालांकि 2014 और 2019 में वह इससे दूर रहे। लेकिन राजनीति में कुछ संभव है उस पहले वसूल को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैय़

एनटीआर तीन बार रहे मुख्यमंत्री

तेलगु फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता एन.टी.रामाराव ने 1982 में तेलगुदेशम पार्टी बनाई थी और 1983 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को पटखनी दे दी थी। और उसके बाद तीन बार वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। एनटीआर का करिश्मा ऐसा था, कि उनकी राजनीतिक विरासत को उनके दामाद चंद्र बाबू नायडू ने हथियाने के बाद वह भी तीन बार मुख्यमंत्री बने। असल में नायडू ने बगावत कर एनटीआर की तेलगुदेशम पार्टी पर कब्जा किया था। एनटीआर की यही  राजनीतिक विरासत और तेलगु स्टॉर के रूप में जूनियर एनटीआर की लोकप्रियता, उन्हें राजनीति में एनटीआर की तरह सफलता दिला सकती है। और शायद भाजपा यह बात बखूबी समझ रही है। हालांकि अभी तक इस मुलाकात को पार्टी की आउटरीच प्रोग्राम के रूप में बताया जा रहा है। क्योंकि चुनावों से पहले भाजपा इस तरह की कवायद करती आई है। मसलन महाराष्ट्र में चुनाव के पहले अमित शाह कई बॉलीवुड नेताओं से मिले थे। इसमें अभिनेत्री माधुरी दीक्षित भी शामिल थीं।

केवी विजयेंद्र प्रसाद को राज्य सभा भेज चुकी है भाजपा

हाल ही में राज्य सभा के लिए भाजपा ने तेलंगाना से आने वाले केवी विजयेंद्र प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था और उन्हें उच्च सदन में भेजा है। विजयेंद्र प्रसाद तेलगु और हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध स्क्रीन राइटर हैं। और उनके बेटे बाहुबाली फिल्म के निर्देशक एस.एस.राजामौली हैं। प्रसाद ने हिंदी फिल्म बजरंगी भाई जान से लेकर कई फिल्मों के लिए कहानी लिखी है। ऐसे में जूनियर एनटीआर से गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकालना कोई चौंकाने वाली बात नहीं हो सकती है।  क्योंकि अगर जूनियर एनटीआर भाजपा के साथ जुड़ते हैं या फिर भाजपा के लिए चुनाव में प्रचार करते हैं तो उनकी लोकप्रियता का फायदा पार्टी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों राज्यों में मिल सकता है।

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मिशन दक्षिण भाजपा का फोकस

जहां तक दक्षिण भारत की बात है तो भाजपा,अभी भी कर्नाटक से आगे नहीं बढ़ पाई है। केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में वह सत्ता में है लेकिन वह छोटे सहयोगी के रूप में है। उसके पास आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल से कोई भी लोक सभा सांसद नहीं है। जबकि इन तीन राज्यों में 84 सीटें आती हैं। इसी तरह तेलंगाना में उसे पहली बार 2019 के चुनाव में 4 लोक सभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। ऐसे में अगर भाजपा को 2024  में केंद्र की तीसरी बार सत्ता हासिल करनी है तो उसके लिए दक्षिण भारत के कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल बेहद अहम होने वाले हैं। जहां पर लोक सभा की कुल 129 सीटें हैं। और इस समय उसके पास केवल 29 सीटें हैं। इसे देखते हुए भाजपा ने मिशन दक्षिण का प्लान बनाया है। और उसका पहला पड़ाव तेलंगाना है, जहां पर 2023 में विधान सभा चुनाव हैं। और अगर उसे टीआरएस को पटखनी देनी है, तो निश्चित तौर पर वहीं फॉर्मूला इस्तेमाल करना होगा, जिसे जूनियर एनटीआर के दादा एनटीआर ने 1983 में अपनाया था। 

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