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यूपी चुनाव: खुश होंगे किसान ! पार्टियों के एजेंडे में मुआवजा,नकद सहायता,गन्ने की कीमत

Updated Sep 23, 2021 | 14:14 IST

UP Election 2022 News: विधान सभा चुनावों को देखते हुए पार्टियों की कोशिश है कि ऐसे लुभावने ऐलान किए जाय, जिससे किसानों का बड़ा वोट बैंक उनके साथ आ जाए ।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
किसान आंदलोन इस समय भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
मुख्य बातें
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन ने विपक्षी दलों को नई उम्मीद दे दी है।
  • जानवरों से खेत बर्बाद होने पर मुआवजा, नकद सहायता और गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी जैसे ऐलान राजनीतिक दल कर सकते हैं।
  • इस समय यूपी में गन्ने का एसएपी 325 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि हरियाणा में यह 362 रुपये और पंजाब में 360 रुपये है।

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनावों में किसान आंदोलन सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को लग रहा है कि अगर किसानों को उन्होंने अपने पाले में खींच लिया तो चुनावी नैया पार हो जाएगी। जिसे देखते हुए किसानों को लुभाने की तैयारी में सारे राजनीतिक दल लग गए हैं। इसके तहत चुनावी घोषणा पत्र में क्या वादे किए जाए, उसको लेकर फीडबैक लेने का काम शुरू हो गया है। सत्तारुढ़ भाजपा से लेकर विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल में इस पर मंथन भी शुरू हो चुका है। पार्टियों की कोशिश है कि ऐसे लुभावने ऐलान किए जाय, जिससे किसानों का बड़ा वोट बैंक उनके साथ आ जाए ।

जानवरों से खेत बर्बाद होने पर मुआवजा ?

उत्तर प्रदेश में इस समय जानवरों से खेतों की फसल तबाह होना एक प्रमुख मुद्दा है। ऐसे में एक प्रमुख विपक्षी दल किसानों को लुभाने के लिए नई योजना का खाका तैयार करने की  कोशिश में हैं। सूत्रों के अनुसार दल जमीनी स्तर पर इस बात का फीडबैक ले रहा है कि अगर किसानों को जानवरों से खेत तबाह होने पर एक निश्चित राशि मुआवजे के रुप में दी जाय, तो उसका चुनावी असर क्या होगा। यानी इस ऐलान के बाद क्या किसान वोट देंगे। असल में प्रदेश में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा  गो तस्करी और अवैध स्लाटर हाउस के संचालन पर रोक लगाने के बाद, ग्रामीण इलाकों में जानवरों के बूढ़े होने के बाद खुला छोड़ दिया जा रहा है। जिसकी वजह से उनकी देखभाल नहीं हो पा रही है, वह भोजन के लिए खेतों में घुस आते हैं। जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है। ऐसे में कई बार किसानों की फसल भी तबाह हो जाती है। इसे देखते हुए मुआवजे जैसा लुभावना ऑफर देने की संभावना तलाशी जा रही है।

गो तस्करी पर सरकार सख्त

प्रदेश में गो तस्करी पर रोक लगाने के लिए पिछले साढ़े चार साल में 319 गो तस्कर माफियाओं को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही दो आरोपियों की कुर्की और 14 पर रासुका लगाया गया है। इसके अलावा 280 आरोपियों पर गैंगेस्टर, 114 पर गुंडा एक्ट और 156 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई है। इसके अलावा गो संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने किसान, पशुपालक और अति कुपोषित परिवारों को एक-एक गाय और प्रति माह 900 रुपए देने की योजना भी चला रखी है। ग्राम विकास और पशुधन विभाग के अनुसार प्रदेश में जुलाई माह तक 43,168 से अधिक लोगों को 83,203 से अधिक गोवंश दिए गए हैं। प्रदेश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कुल 5278 स्थायी गोवंश आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जिसमें करीब 5,86,793 गोवंश हैं।

पीएम किसान सम्मान निधि की तरह नई स्कीम ?

साल 2019 के चुनाव में पीएम किसान निधि स्कीम भाजपा की जीत का एक प्रमुख कारण रही है। इसके तहत  केंद्र सरकार हर साल देश के सभी किसानों को 6000 रुपये की इनपुट सहायता राशि देती है। ऐसे में  सत्तारूढ़ दल से लेकर विपक्षी दलों में इस तरह की स्कीम का खाका बनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राज्य स्तर पर योजना बनाकर 6000 रुपये की अतिरिक्त सहायता देने का ऐलान किया जा सकता है। इसी तरह कांग्रेस पार्टी, छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी योजना का उत्तर प्रदेश के लिए भी अपने घोषणा पत्र में ऐलान कर सकती है। छत्तीसगढ़ में किसानों को फसलों के आधार पर हर साल प्रति एकड़ 9000 -10000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।

गन्ना भुगतान और एसएपी बड़ा मुद्धा

प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए उनका बकाया भुगतान और राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) बड़ा मुद्दा है। खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह बड़ा संवेदनशील मुद्दा है। किसान नेता राकेश टिकैत भी अपनी सभी महापंचायत और रैलियों में इस मुद्दे को न केवल उठाते रहे हैं, बल्कि प्रदेश सरकार को भी घेरते रहते हैं। असल में पिछले चार साल में उत्तर प्रदेश में एसएपी में सिर्फ 10 रुपये का इजाफा हुआ है। राज्य में एसएपी 325 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि हरियाणा में यह 362 रुपये और पंजाब में 360 रुपये है। ऐसे में इस बात के संकेत हैं कि प्रदेश सरकार किसानों को लुभाने के लिए जल्द ही कीमतों में इजाफे का ऐलान कर सकती है। इस मामले में प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना किसान मंत्री सुरेश राणा ने कहा है कि  ने जल्द ही कीमतों में बढ़ोतरी की जाएगी। हालांकि किसानों का दावा है कि पिछले 3-4 साल में गन्ने की लागत में 50-60 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में उसकी लागत ही 360 रुपये पहुंच चुकी है। इसे देखते हुए घोषणा पत्र में इससे ज्यादा की कीमत का ऐलान विपक्षी दल कर सकते हैं।

प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार 7 अगस्त 2021 तक उसने 1,41,112.78 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान किया है। हालांकि अभी 2020-21 में 21 फीसदी भुगतान बाकी है। किसान बकाया राशि को मुद्दा बना रहे हैं। जबकि सरकार का कहना है उसने रिकॉर्ड भुगतान किया है और जल्द ही बकाया राशि का भुगतान हो जाएगा।

जो समझा पाएगा, उसे मिलेगा वोट

प्रदेश में किसान चुनौती पर राज्य भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं "देखिए किसान आंदलोन तीन कृषि कानूनों को लेकर शुरू हुआ है। अब पहली बात यह समझनी चाहिए कि हमने कानून लाकर कोई गलत काम नहीं किया है। कुछ किसान नेता, विपक्षी दलों के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। किसानों को बरगलाया जा रहा है। ऐसे में हम भी उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं। साफ है जो किसानों को समझा ले जाएगा, उसे ही उनका साथ मिलेगा। जहां तक किसानों के लिए काम की बात है तो यह सबको पता है, मोदी और योगी सरकार ने किसानों के हित के लिए जो काम किए हैं, वह आज तक नहीं हुए। दूसरी बात यह भी समझनी चाहिए कि किसान केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहीं रहते हैं। प्रदेश के दूसरे इलाकों में किसान, क्यों आंदोलन नहीं कर रहे हैं। साफ है कि किसानों के नाम पर राजनिति हो रही है।"

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