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Rashtravad: लोगों के लिए 'कर्फ्यू' लेकिन नेताओं के लिए सब 'फ्री', क्या ऐसे रूक जाएगी थर्ड वेव?

Updated Dec 26, 2021 | 18:59 IST

देश में एक तरफ कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, वहीं दूसरों को हिदायत देने वाले नेतागण जमकर अपनी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।

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सार्वजनिक जगहों पर भीड़ पर सख्ती से रोक,नेताओं को छूट क्यों?
मुख्य बातें
  • सार्वजनिक जगहों पर भीड़ पर सख्ती से रोक, क्या नेताओं की रैलियों से रूक जाएगी थर्ड वेव?
  • मध्य प्रदेश में 'चुनाव' रुकेगा लेकिन यूपी-पंजाब में क्या होगा चुनाव ?
  • अगर Omicron फैलता है तो क्‍या भाजपा, सपा और अन्‍य पार्ट‍ियां माफी मांगेंगी?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि पैनिक न हों..सावधान रहें और हर हाल में कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें। ओमिक्रॉन दस्तक दे चुका है सावधान रहें। दूसरी तरफ यूपी-पंजाब की रैलियों में भारी भीड़ बुलाई जा रही चाहे वो कोई पार्टी हो..कांग्रेस हो, बीजेपी हो, समाजवादी पार्टी हो, बीएसपी हो..सबकी रैली में भीड़ का रेला है। और उस रेले में 70 से 80% लोग बिना मास्क के हैं और अगर मास्क है तो नाक के नीचे है, ऐसा क्यों है ? और क्या भीड़ देखकर ओमिक्रॉन का वायरस भाग जाएगा । आज राष्ट्रवाद में यही मुद्दा है । 

कांग्रेस का निशाना

राहुल गांधी जी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने उनकी बात मानकर बूस्टर डोज का फैसला किया। सिर्फ बूस्टर डोज का नाम प्रीकॉशन डोज कर दिया गया है। फिलहाल ये डोज 60 साल से उपर के लोग जिन्हें बीमारियों का गंभीर खतरा है उन्हें मिलेगा। रणदीप सुरजेवाला जी आए तो पीएम की तुलना तुगलक से कर दी और कहा, 'मोदी जी ये तो बता दीजिए। देश को घोषणा तो कर दी वाह-वाही भी खूब लूट ली,वाह-वाही तो तुगलग ने भी लूट ली थी जब उसने राजधानी बदली थी। पर ये वैक्सीन है कहां ? और कब तक उपलब्ध होगी ?'

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लेकिन मुद्दे पर आने से पहले हम आपको कुछ डेवलपमेंट्स दिखाते हैं। यूपी और एमपी सीमावर्ती राज्य हैं। लेकिन दोनों राज्यों में ओमिक्रॉन के खतरे को लेकर अलग-अलग तरह की जमीनी हक़ीकत दिखती है। इधर रैली पर रैली..उधर थर्ड वेव का खतरा ! HC की चुनाव रोकने की अपील की है  लेकिन हर दिन यूपी में औसतन 5 बड़ी रैली हो रही है हर रैली में करीब 20 हजार तक भीड़ आ रही है।

 आज का उदाहरण

आज अमित शाह की रैली थी, कांग्रेस के कार्यक्रम में झांसी में इलेक्शन रन जैसा प्रोग्राम था। समाजवादी पार्टी के नेता भी ताबड़तोड़ रैली, रोड शो कर रहे हैं। पंजाब में सिद्धू की रैली थी लेकिन हर जगह ज्यादातर लोग बिना मास्क के, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के दिखते हैं। अगर डेल्टा से भी आगे ओमिक्रॉन का वेरिएंट 3 गुना तेजी से फैसला है तो कल्पना कीजिए कि खतरा कितना बड़ा हो सकता है। यूपी-पंजाब में औसतन  5 बड़ी चुनावी रैलीरोड शो हो रहे हैं। इसमें अनुमान है कि औसत 20 हजार लोग होते हैं। अगर इन रैलियों में कोरोना का न्यू वैरिएंट पहुंच गया तो तो क्या होगा। क्रिसमस और न्यू ईयर की पार्टी रोकने का क्या फायदा, नाइट कर्फ्यू लगाने का क्या फायदा..?

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