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हिंदुओं को हिंदू रहना है तो भारत को 'अखंड' बनना होगा: मोहन भागवत

Mohan Bhagwat
Updated Nov 27, 2021 | 21:21 IST

RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुओं की संख्या और ताकत कम हो गई है या हिंदुत्व की भावना कम हो गई है। हिंदुओं को हिंदू रहना है तो भारत को 'अखंड' बनना होगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
मोहन भागवत
मुख्य बातें
  • मोहन भागवत शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ग्वालियर पहुंचे
  • भारत के विभाजन की पीड़ा का समाधान विभाजन को निरस्त करना है: भागवत
  • यह 1947 का नहीं बल्कि 2021 का भारत है। विभाजन एक बार हो गया, वह दोबारा नहीं होगा: RSS प्रमुख

ग्वालियर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 'अखंड भारत' की आवश्यकता की वकालत की और जोर देकर कहा कि भारत हिंदुस्तान है और अगर हिंदुओं को हिंदू रहना है तो भारत को 'अखंड' बनना होगा। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि इन दिनों हिंदुओं की संख्या और ताकत कम हो गई है या हिंदुत्व की भावना कम हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत हिंदुस्तान है, और एक हिंदू और भारत अलग नहीं हो सकते। 

संघ प्रमुख 26 नवंबर को चार दिवसीय 'घोष शिविर' को संबोधित करने और मार्गदर्शन करने के लिए ग्वालियर पहुंचे थे। शिवपुरी लिंक रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में घोष शिविर की शुरुआत हुई। 

इससे पहले 25 नवंबर को नोएडा में एक किताब के विमोचन के मौके पर भागवत ने भारत को बांटने की बात करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत ने बंटवारे के समय एक बड़ा झटका देखा था जिसे भुलाया नहीं जा सकता और जिसे कभी दोहराया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय भारत की पीड़ा को नहीं भूलना चाहिए। जब भारत का विभाजन पूर्ववत हो जाएगा तो यह दूर हो जाएगा।

कृष्णानंद सागर की पुस्तक के विमोचन पर भागवत ने कहा कि भारत की विचारधारा सबको साथ लेकर चलने की है। यह कोई विचारधारा नहीं है जो खुद को सही और दूसरों को गलत मानती है। हालांकि, इस्लामिक आक्रमणकारियों की विचारधारा दूसरों को गलत और खुद को सही मानने की थी। अंग्रेजों की सोच भी एक जैसी थी। यह अतीत में संघर्ष का मुख्य कारण था। आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि आक्रमणकारियों ने 1857 की क्रांति के बाद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विघटन को बढ़ावा दिया। यह 1947 का नहीं 2021 का भारत है। एक बार बंटवारा हो गया फिर नहीं होगा। 

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