- सरकार और किसानों के बीच शुक्रवार को एक बार फिर बातचीत होने जा रही है
- 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने कृषि कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था
- संयुक्त किसान मोर्चा ने हालांकि सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है
नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच शुक्रवार (22 जनवरी) को एक बार फिर अहम बैठक होनी है। हालांकि इससे पहले ही किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन की बात कही गई थी। किसान नेताओं की गुरुवार को सिंघू बॉर्डर पर हुई एक मैराथन बैठक में यह फैसला लिया गया।
किसान नेता दर्शन पाल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, 'संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। इसमें तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई।' सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन में 147 किसानों की मौत हो चुकी है। बयान में कहा गया, 'इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े है। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।'
किसानों का कानूनों को निरस्त करने पर जोर
किसान नेता जोगिंदर एस उग्राहन ने कहा, 'यह फैसला लिया गया कि सरकार के किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे कानूनों को वापस नहीं ले लेते। सरकार के साथ कल जो मुलाकात होने जा रही है, उसमें हम यही कहेंगे कि हमारी एक ही मांग है कि कानूनों को निरस्त करें और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी प्रावधान किया जाए।' उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि ये फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने इससे इनकार किया और कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
संयुक्त मोर्चा की बैठक दोपहर लगभग 2:30 बजे शुरू हुई थी। कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित रखने का प्रस्ताव बुधवार को दिया गया था, जब किसान प्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों के बीच 10वें दौर की वार्ता हुई थी। इसी बैठक में 22 जनवरी को एक बार फिर से बातचीत पर सहमति बनी थी।
इस बीच, कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालने को लेकर किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच दूसरे चरण की बातचीत भी बेनतीजा रही। किसान नेता अपने इस रुख पर कायम हैं कि वे 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी के व्यस्त बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, जबकि पुलिस इसके लिए अनुमति देने का तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसान नेताओं को इस बात के लिए मनाने का प्रयास किया कि वे ट्रैक्टर रैली बाहरी रिंग रोड की बजाय कुंडली-मानेसर पलवल एक्सप्रेस पर निकालें।