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'टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता', वाजपेयी की कविता के जरिए Shiv Sena का तंज- उपमुख्यमंत्री बनने वाले अचानक CM बन गए

Updated Jul 02, 2022 | 10:21 IST

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद शिवसेना लगातार बीजेपी पर हमलावर है। एक बार फिर पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसा है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने BJP पर कसा तंज
मुख्य बातें
  • अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने BJP पर कसा तंज
  • शिवसेना में बगावत कराकर महाराष्ट्र की सत्ता काबिज करना था ड्रामे का उद्देश्य- सामना
  • इस लेख के जरिए देवेंद्र फडणवीस पर भी कसा तंज

नई दिल्ली:  शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए एक बार फिर बीजेपी पर हमला किया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 'टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता' कविता के जरिए फडणवसी पर तंज कसा गया है। इस संपादकीय में लिखा गया है कि । उपमुख्यमंत्री बननेवाले अचानक मुख्यमंत्री बन गए और हम काश मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा लगनेवाले को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करना पड़ा।

राजनीतिक नौटंकी

सामना के इस लेख में लिखा गया है, 'महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण करने के लिए जो राजनीतिक नौटंकी कराई जा रही है, उस नौटंकी के अभी और कितने भाग बाकी हैं, इस बारे में आज कोई भी दृढ़तापूर्वक कह सकता है, ऐसा लगता नहीं। घटनाक्रम ही इस तरह से घट रहे हैं अथवा घटनाएं कराई जा रही हैं कि राजनीतिक पंडित, चाणक्य व पत्र पंडित भी सिर पर हाथ रखकर बैठ गए हैं। स्ट्रोक-मास्टर स्ट्रोक ऐसे ड्रामों का प्रयोग प्रस्तुत किया गया। एक पर्दा गिरा कि दूसरा पर्दा ऊपर, ऐसी भी घटनाएं हुईं। इस पूरे राजनीतिक ड्रामे के सूत्र पर्दे के पीछे से चलानेवाली तथाकथित ‘महाशक्ति’ का ‘पर्दाफाश’ भी बीच के दौर में हुआ।'

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क्लाइमेक्स पर टिप्पणी

लेख में आगे कहा गया, ' शिवसेना में बगावत कराकर महाराष्ट्र की सत्ता काबिज करना, यही इस ड्रामे का मुख्य उद्देश्य था। उसके अनुसार इसके पात्रों ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई। सूरत, गुवाहाटी, सर्वोच्च न्यायालय, गोवा, राजभवन और सबसे अंत में मंत्रालय आदि जगहों पर इसके अलग-अलग प्रयोग पेश किए गए। लेकिन सबसे झकझोरने वाला ऐसा क्लाइमेक्स हुआ तो गुरुवार की शाम राजभवन में इस ड्रामे का अंत वगैरह लगनेवाला प्रयोग हुआ तब। उपमुख्यमंत्री बननेवाले अचानक मुख्यमंत्री बन गए और हम काश मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा लगनेवाले को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करना पड़ा। पक्षादेश के रूप में उसे उन्होंने स्वीकार भी किया। इस ‘क्लाइमेक्स’ पर टिप्पणी, समीक्षा, परीक्षण की भरमार होने के दौरान ‘बड़ा मन’ और ‘पार्टी के प्रति निष्ठा का पालन’ ऐसा एक बचाव सामने आया।'

वाजपेयी की कविता

फडणवीस को निशाने पर लेते हुए आगे कहा गया, 'भारतीय जनता पार्टी के स्वर्गीय नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपनी एक कविता में कहा ही है… छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता... वाजपेयी युग का उनकी विचारधारा देश की राजनीति से कब की अस्त हो चुकी है। काले को सफेद और सफेद को काला बनानेवाला नया युग अब यहां अवतरित हुआ है। इसीलिए ही ‘छोटा मन’ और ‘बड़ा मन’ की व्याख्या नए से कही जा रही है। करार के अनुरूप दिए गए वचन का पालन करने का ‘बड़ा मन’ भाजपा ने ढाई साल पहले ही दिखाया होता तो बचाव के नाम पर ‘बड़े मन’ की ढाल सामने लाने की नौबत इस पार्टी पर नहीं आई होती।'

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