नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी प्रशासन से पूछा कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वास्तव में 'शिवलिंग' कहां पाया गया? प्रशासन से सुप्रीम कोर्ट का सवाल मस्जिद समिति की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें वाराणसी में अधिकारियों को मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट से कहा कि मुसलमानों को नमाज के लिए मस्जिद में आने से रोके बिना उस क्षेत्र को सुरक्षित किया जाए जहां 'शिवलिंग' पाया गया |
ज्ञानवापी के वजूखाने का वायरल वीडियो सामने आया है, इसमें वजूखाने की सफाई होती दिख रही है, पानी के पाइप से फर्श को धोया जा रहा है। वजूखाने के बीचो बीच एक आकृति दिख रही है, इसे ही हिंदू पक्ष और उनके समर्थक शिवलिंग बता रहे हैं लेकिन मुस्लिम पक्ष और उनके समर्थक इसे फव्वारा बता रहे हैं
इस टेस्ट की शुरुआत मुस्लिम पक्ष के दावे से करते हैं। अगर इसे फव्वारा मान लें तो आपको ये भी देखना होगा कि इस्लामिक परंपराओं में फव्वारा कैसा होता है? इसे समझने के लिए आप ये तस्वीर देखिए। इस तस्वीर में इस्लामिक इंजीनियरिंग के बारे में बताया गया। और ये दिखाया गया कि इस्लामिक कल्चर में फाउंटेन यानी फव्वारे कैसे बनाए जाते थे।
अब इस तस्वीर और ज्ञानवापी में मिली आकृति की तस्वीर को मैच करके देखते हैं कि क्या इससे ज्ञानवापी की वो आकृति मैच करती है या नहीं?
पहला अंतर-
इस्लामिक कल्चर वाली तस्वीर में जो फव्वारा है, उसके आसपास की बाउंड्री छोटी दिख रही है। जबकि ज्ञानवापी के वजूखाने वाले वीडियो में जो आकृति है, उसमें बाउंड्री बड़ी दिख रही है।
दूसरा अंतर-
-इस्लामिक कल्चर वाले फव्वारे में पानी निकलकर आस-पास ही गिर रहा है और जिस फव्वारे से पानी निकल रहा है उसकी आकृति शिवलिंग की तरह नहीं है। जबकि ज्ञानवापी के वजूखाने की तस्वीर में जो आकृति दिख रही है उसकी बनावट शिवलिंग की तरह है।
तीसरा अंतर-
इस्लामिक कल्चर वाली तस्वीर में फव्वारे के बीच में छेद हैं, जिनसे पानी निकल रहा है, ज्ञानवापी वाले वीडियो में ऐसा लग रहा है कि ऊपरी हिस्से में अलग से कोई चीज लगी है। ऐसा लगता है कि ऊपर से सीमेंट से कुछ जोड़ा गया है।
अब आपको दूसरी मस्जिदों में मौजूद फव्वारे भी दिखाते हैं और उनसे ज्ञानवापी मस्जिद का मैच करके देखते हैं-
ये कोलकाता की नखोदा मस्जिद के वजूखाने का फाउंटेन हैं ये कहीं से भी उस तरह का फाउंटेन नहीं है, जिसको लेकर मुस्लिम पक्ष और उनके समर्थक ज्ञानवापी मस्जिद में फव्वारा होने का दावा कर रहे हैं। नखोदा मस्जिद पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी मस्जिद है। और ये करीब 100 साल पुरानी मस्जिद है।
अजमेर शरीफ दरगाह की तस्वीर देखिए। यहां भी जो फाउंटेन या फव्वारा है वो वैसा नहीं है जैसा ज्ञानवापी मस्जिद में फव्वारा होने का दावा किया जा रहा है। अजमेर शरीफ दरगाह का फव्वारा चारों तरफ से किसी कुएं से नहीं ढका हुआ है, फव्वारा साफ-साफ दिख रहा है और वजूखाने के पानी के ऊपर बना है।
अपनी पड़ताल को पुख्ता करने के लिए हमने देश की कई मस्जिदों के वजूखाने की तस्वीर देखी । लेकिन कहीं भी वैसी तस्वीर नहीं दिखी जैसी ज्ञानवापी में है। दिल्ली के जामा मस्जिद की तस्वीर आपको दिखाता हूं। यहां भी फुव्वारा किसी ढांचे से ढका नहीं हुआ है। फव्वारा पानी के बीचो-बीच बना है और साफ-साफ दिख रहा है।
ज्ञानवापी मस्जिद में मिली आकृति को फव्वारा बताए जाने का हमने रियलिटी चेक भी किया। अब तक जिन मस्जिदों या दरगाह की तस्वीर हमने आपको दिखाई वहां फव्वारा था। हमने ग्राउंड पर उतरकर ये भी जाना कि क्या वाकई मस्जिदों के वजुखाने में फव्वारा होना जरूरी है या आमतौर पर फव्वारा ही होता है।
पटना के जामा मस्जिद की तस्वीर आपको दिखाता हूं यहां वजूखाने में कोई फव्वारा नहीं दिखा। यहां नल लगे हुए थे जहां नमाजी मुंह, हाथ, पैर धो रहे थे।
लखनऊ की शाही मस्जिद ईदगाह की तस्वीर आप देखिए, यहां भी वजूखाने में नल लगे हुए हैं। कोई कुआं या फव्वारा नहीं है।
कुएं में शिवलिंग में मिलना कोई नई बात नहीं है। 2 साल पहले वाराणसी के ही बभनियाव में करीब 200 साल पुराने कुएं की खुदाई हो रही थी, तब वहां एक शिवलिंग मिला था।
आपको ओडीशा के बालासोर में बाबा भुसंडेश्वर मंदिर का शिवलिंग दिखाते हैं। ये 12 फीट ऊंचाई का और 14 फीट चौड़ाई का शिवलिंग है। जो दुनिया में सबसे बड़े शिवलिंग में से एक है।
जिस तरह पर सोमवार को सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला था वो जगह आपको फिर से दिखाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के ड्रोन विजुअल से शिवलिंग मिलने की जगह साफ हो रही है और नंदी की पोजीशन और शिवलिंग की पोजीशन बिलकुल वैसी है जैसे शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए।