नई दिल्ली। कहा जाता रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं और सात फेरों के बंधन में दो अजनबी एक दूसरे से मंडप में बंध जाते हैं। लेकिन यहां जिस रिश्ते की बात हो रही है वो एक दूसरे के लिए अजनबी नहीं थे। नॉर्थ ब्लॉक के डीओपीटी में दो नजरें चार हुईं, भावनाओं का ज्वर उफान पर था, थोड़ा समय बीता और एक दूजे का होने का फैसला कर बैठे। लेकिन उस सुखद शुरुआत का दुखद अंत हो रहा है। यहां हम बात दो ऐसे होनहार शख्सियतों टीना डाबी और अतहर खान की कर रहे हैं जो भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी हैं। सिविल सेवा परीक्षा के लिए उन्होंने कमरतोड़ मेहनत की और नंबर 1, नंबर 2 पायदान पर काबिज हुए। लेकिन रिश्तों में वो फेल हो गए। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुई कि दोनों का रिश्ता घर की चारदीवारी से अदालत की चौखट को देखने लगा।
दिल्ली की टीना और कश्मीर के अतहर
सबसे पहले टीना डाबी और अतहर की पृष्ठभूमि को समझने की जरूरत है, टीना दिल्ली की रहने वाली हैं जबकि अतहर खान का संबंध जम्मू-कश्मीप से है। सांस्कृतिक तौर पर दोनों एक दूसरे से अलग अलग रिवाजों से आते थे। लेकिन कहते हैं कि दिल और दिमाग की लड़ाई में दिल जब भारी पड़ता है तो दो अजनबी एक दूसरे को अपना मान बैठते हैं। टीना डाबी और अतहर खान के मिलन में वो सांस्कृतिक बाधा मिटती हुई नजर आई लेकिन उसकी मियाद कम समय तक बनी रही।
पहलगाम की बर्फ को रिश्तों की तल्खी ने पिघला दिया
कश्मीर की खूबसूरत वादी में जब उन्होंने पहलगाम की मखमली घास में एक दूसरे को चूना तो ऐसा लगा था कि प्रेम का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। अगर ऐसा था तो उसके पीछे वजह भी थी। अतहर खान ने कहा था कि मैंने तो टीना जैसा स्वीट इंसान कभी नहीं देखा। मैं तो इन्हें देखकर ही फिदा हो गया था। मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझता हूं कि टीना मेरी जिंदगी में आईं। उन्होंने कहा कि मुझे टीना की मुस्कुराहट, हर किसी के बारे में उनकी अच्छी सोच, उनके ख्यालात, बातचीत करने का अंदाज बहुत अच्छा लगता है। टीना और अतहर के रिश्ते पर सवाल भी उठाए थे। ट्रोलर्स को जवाब देते हुए टीना डाबी ने कहा था कि वो एक ऐसी महिला है जो अपने फैसले खुद कर सकती हैं और वो अपने पति के साथ बेहद खुश हैं।
दिल पर भारी पड़ा दिमाग और मामला अदालत तक
अब सवाल यह है कि जब टीना डाबी और अतहर की नजरें दो से चार हुई को फिर दोनों एक दूसरे से नजरें चुराने क्यों लगे और तल्खी कुछ इस हद तक बढ़ी कि दोनों ने नदी के दो किनारों की तरह बनना पसंद किया। नदी के किनारे एक दूसरे से आपस में नहीं मिलते लेकिन लहरें एक दूसरे को छूती जरूर हैं। बताया जाता है कि शादी के बंधन में बंधने के बाद दोनों के बीच वैचारिक लड़ाई प्रेम पर भारी पड़ने लगी। एक दूसरे को संभालने की कोशिश उन दोनों ने बहुत की। लेकिन दिल पर दिमाग भारी पड़ गया और मामला अदालत तक जा पहुंचा।