नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर के बीच केंद्र ने 9 विशिष्ट उद्योगों को छोड़कर औद्योगिक उद्देश्य के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति रविवार को प्रतिबंधित कर दी ताकि कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। यह निर्णय 22 अप्रैल से प्रभावी होगा। सभी राज्यों को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी और इस कारण मेडिकल ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के मद्देनजर केंद्र सरकार की तरफ से गठित उच्चाधिकार प्राप्त एक समिति ने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति की समीक्षा की है ताकि देश में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पूरी की जा सके और लोगों की जान बचाई जा सके।
महाराष्ट्र को मिलेगी सबसे ज्यादा ऑक्सीजन
वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज हमने 6177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलग-अलग राज्यों को उपलब्ध कराने की योजना बना दी है। 20 अप्रैल के बाद महाराष्ट्र को 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जाएगी। दिल्ली को 350 मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश को 800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाएगा। 12 राज्यों के साथ एक विस्तृत बैठक के बाद केंद्र सरकार ने विभिन्न आवश्यकताओं पर राज्य सरकारों के साथ मैपिंग किया। महाराष्ट्र को सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा।
उन्होंने कहा, 'कोविड महामारी की मार भारत में पड़ने से पहले हमारी दैनिक चिकित्सा ऑक्सीजन की खपत लगभग 1000-1200 मीट्रिक टन थी। लेकिन 15 अप्रैल को देश में 4795 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया था। हमने पिछले एक साल में उत्पादन क्षमता बढ़ाई है।'
ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाई जाएगी
गोयल ने बताया कि ट्रेनों में ऑक्सीजन सिलेंडर या टैंकरों का परिवहन शुरू करने का निर्णय लिया गया है। ऑक्सीजन की तेजी से आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर शुरू किया जाएगा। राज्यों को ऑक्सीजन के सुचारू परिवहन की सुविधा के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों के तेजी से आवागमन के लिए एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है।
कोविड पर न हो राजनीति
पीयूष गोयल ने आगे कहा, 'इस (COVID प्रबंधन) पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। केंद्रीय सरकार बिना किसी भेदभाव के कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। मुझे बुरा लगा जब कुछ लोगों और एक प्रमुख राजनीतिक दल ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। केंद्र कोविड मैनेजमेंट में राज्य सरकार के समर्थन में चौबीसों घंटे काम कर रहा है। कल प्रधानमंत्री ने अपने चुनाव अभियान के बाद समीक्षा बैठक की। जो नेता कुशलतापूर्वक सरकार चलाने में असमर्थ हैं, उन्हें पीएम मोदी के नेतृत्व के सामने अपने काम को पेश करने की चिंता करने की जरूरत है।'