- बिहार चुनाव में लोजपा और रालोसपा दोनों अपने-अपने रुख पर अड़े हैं
- लोजपा अभी एनडीए का हिस्सा है तो रालोसपा महागठबंधन के साथ है
- कुशवाहा महागठबंधन की ओर से सीएम पद का चेहरा बनना चाहते हैं
पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की रणनीति अपने निर्णायक दौर में पहुंच गई है। महागठबंधन और एनडीए दोनों एक-दूसरे को मात देने के लिए अपने पत्ते दुरुस्त करने में जुटे हैं लेकिन उनकी इस मोर्चेबंदी को उनके साथी दल कमजोर करने में जुटे हैं। लोजपा सीट बंटवारे को लेकर एनडीए की मुश्किलें खड़ी कर रही है तो रालोसपा महागठबंधन की ओर से सीएम पद का चेहरा बनाए जाने की मांग पर अड़े हैं। दोनों पार्टियां
अपने रुख से महागठबंधन और एनडीए की चुनावी राह कठिन बना रही हैं।
अधिक सीटें चाहते हैं चिराग पासवान
चिराग पासवान जहां अधिक सीटों की मांग पर अड़े हैं, वहीं उपेंद्र कुशवाहा महागठबंन की तरफ से सीएम पद का चेहरा बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। कुशवाहा ने एक तरह से राजद को चेतावनी दी है कि यदि उसने उन्हें सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया तो रालोसपा कोई भी फैसला कर सकती है। जाहिर है कि कुशवाहा महागठबंधन का दामन छोड़ एनडीए के पाले में जाने का इशारा कर चुके हैं। जीतन राम माझी के एनडीए में शामिल होने से महागठबंधन को पहले ही झटका लग चुका है। ऐसे में रालोसपा भी यदि माझी के रास्ते पर चलती है तो इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को चुनावी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
एनडीए से अपना रास्ता अलग कर सकती है लोजपा
लोजपा ने साफ कर दिया है कि वह 36 से कम सीटों पर मानने के लिए तैयार नहीं है। कुछ राजनीतकार यह भी मानते हैं कि इस चुनाव में चिराग एनडीए से अलग होकर अपना रास्ता अलग बना सकते हैं लेकिन लोजपा केंद्र मं एनडीए के साथ रहेगी या नहीं इस पर सस्पेंस है। रालोसपा की हाल में हुई बैठक में पार्टी ने कुशवाहा को अंतिम फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है। इस बैठक में यह निर्णय हुआ कि महागठबंधन का हिस्सा रालोसपा तभी होगी जब उपेंद्र कुशवाहा सीएम पद का चेहरा होंगे। जाहिर है कि रालोसपा की यह शर्त तेजस्वी यादव को स्वीकार्य नहीं होगी क्योंकि महागठबंधन के नेता एवं सीएम के रूप में उन्होंने अपना चेहरा आगे किया है।
एनडीए के साथ जा सकते हैं कुशवाहा
महागठबंधन में रार उभरने के बाद चर्चा यह भी है कि कुशवाहा एक बार फिर एनडीए के साथ आ सकते हैं। वह पहले भी एनडीए का हिस्सा और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके रिश्ते नरम-गरम रहे हैं। लालू के खिलाफ राजनीतिक जमीन तैयार करने में कुशवाहा ने नीतीश कुमार की काफी मदद की। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब नीतीश ने कुशवाहा से सरकारी बंगला खाली करवा दिया। अब मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियां दोनों नेताओं को एक-दूसरे के करीब ला सकती हैं।