- भारत में टीकाकरण के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाएं पीछे
- दिल्ली और मुंबई में भी अंतर अधिक
- टीकाकरण के प्रति महिलाओं की कम जागरुकता बड़ी वजह
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण बड़ा हथियार है। टीकाकरण कितना फायदेमंद इसे मौजूदा लहर में समझा जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक ऐसे लोग जो टीककरण के बाद भी कोरोना संक्रमित हुए हैं उन्हें अस्पतालों में भर्ती नहीं होना पड़ा है। इसके अलावा जिन लोगों की मौत हुई है उन्होंने टीकाकरण या तो नहीं या आंशिक कराया था। इन सबके बीच कोविड पोर्टल के मुताबिक भारत में कुल 1.63 अरब डोज दिया जा चुका है।
दिल्ली और मुंबई की तस्वीर अच्छी नहीं
अगर पुरुषों और महिलाओं के टीकाकरण की बात करें तो 83 करोड़ टीके की डोज पुरुषों को और 79.2 करोड़ डोज महिलाओं को दिया गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि पुरुष और महिलाओं के बीच 3.8 करोड़ से अधिक का अंतर है। अगर बात दिल्ली की करें तो यहां पर 1.66 करोड़ खुराक पुरुषों को और महिलाओं को 1.24 करोड़ खुराक दी गई है। इसके साथ ही मुंबई की बात करें तो पुरुषों को 1.12 करोड़ और महिलाओं को .78 करोड़ खुराक दी गई है।
जागरुकता की कमी खास वजह
अब सवाल यह है कि महिलाओं का टीकाकरण कम क्यों हो रही है। क्या टीकाकरण अभियान में जुड़े लोगों की उदासीनता है। या महिलाओं में जानकारी और जागरुकता की कमी है। इस विषय पर जानकारों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि महिलाओं को कोरोना रोग की गंभीरता के बारे में पता नहीं है। दरअसल दिक्कत यह है कि उन्हें सही समय पर जानकारी नहीं मिल पा रही है। ज्यादातर महिलाएं पंजीकरण के तरीके से अंजान हैं, इसके साथ ऐसा भी देखा गया है कि ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण सेंटर दूर हैं और वहां परिवहन सुविधा का अभाव है।