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Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध के 23 साल बाद कितनी बदली है 'भारतीय सेना', यह नए हथियार हुए हैं सेना में शामिल 

शिवानी शर्मा | Deputy News Editor
Updated Jul 25, 2022 | 17:42 IST

23rd Victory Anniversary of Kargil War: कारगिल युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के विश्वासघात से सबक लेकर इस पूरे इलाके में अपनी तैनाती को कई गुना बढ़ाया और अपने सर्विलांस और ऑफेंसिव मोर्चे को मजबूत बनाया।

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भारत की सेना ने अपने हथियारों विमानों और सर्विलांस डिवाइसेस में भी इजाफा किया है (फाइल फोटो)

भारत करगिल युद्ध की 23वी विजय वर्षगांठ मना रहा है। इन 23 सालों में भारत और ज्यादा सशक्त हुआ है, देश की सेना आत्मनिर्भर  हुई है और लाइन ऑफ कंट्रोल से लेकर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल तक भारत की सेना पूरी तरह से बदल चुकी है । आइए आपको दिखाते हैं कि पिछले दो दशक में भारत की सेना और वायु सेना में कौन-कौन से ऐसे अत्याधुनिक उपकरण और हथियार जुड़े हैं जिनसे पाकिस्तान और चीन भारत की तरफ आंख उठाकर देखने में भी घबराता है।

इतना ही नहीं अब भारत की सेना ने अपने हथियारों विमानों और सर्विलांस डिवाइसेस में भी इजाफा किया है । भारतीय वायु सेना के पास पिछले 20 सालों में रफाल  चिनूक, अपाचे, मी 17 वी 5 जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान शामिल हो चुके हैं।

जमीन पर भी भारतीय सेना ने कई नए हथियारों से अपनी ताकत को बढ़ाया है

आसमान में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा कर भारतीय वायु सेना पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर पर लगातार सतर्क रहती है वहीं जमीन पर भी भारतीय सेना ने कई नए हथियारों से अपनी ताकत को बढ़ाया है। अपनी पुरानी आर्टिलरी गनो को अपग्रेड करके और तेज और दूर तक प्रहार करने के लिए तैयार किया है। वही एम 777 होविट्जर, K9 वज्र, पिनाका मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज के साथ अपनी आक्रामकता को बढ़ाया है।

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भारतीय सेना ने अपने मोर्चों को मजबूत बनाने के लिए रूप से रूस से एस 400 सर्फेस टो एयर मिसाइल सिस्टम भी हासिल की है इनमें से एक मिसाइल सिस्टम की यूनिट को पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात भी कर दिया गया है वहीं दूसरी तरफ  S-400 की दूसरी यूनिट को एलएसी पर अगले 3 महीने के भीतर तैनात कर दिया जाएगा।

ड्रोन की शक्ति के साथ सर्विलेंस रडार सिस्टम भी तैनात किए गए हैं

पिछले दो दशकों में भारत की सेना ने इजरायल से अनमैंड एरियल व्हीकल या यूएवी खरीद कर सीमाओं पर अपनी निगरानी को भी नए आयाम दिए हैं। ड्रोन की शक्ति के साथ सर्विलेंस रडार सिस्टम भी तैनात किए गए हैं। हाल ही में भारतीय सेना पाकिस्तान सीमा पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने रोबोटिक सोल्जर्स भी डिप्लॉय कर रही है जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सीमा पर हर मौसम में निगरानी करते हैं।

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पाकिस्तान से आने वाले घुसपैठियों की हर कोशिश को बेहतरीन सर्विलांस और एंटी इनफील्ट्रेशन ग्रिड के साथ नाकाम किया जा रहा है। अपने उपकरणों हथियारों और आधुनिक सर्विलांस डिवाइस के अलावा भारत की सेना ने अपने विंटर क्लॉथिंग, राशन, हैबिटेशन और मेडिकल सुविधाओं को भी पूरी तरह से नया बना दिया है।

23 साल पहले युद्ध समाप्त होने के बाद से बहुत कुछ बदल गया है

सेना का कहना है कि इसी तरह के एक और संघर्ष की संभावना नहीं है। युद्ध जैसी स्थिति के दौरान नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों की पहचान की गई थी। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले घुसपैठ के मार्गों की पहचान कर  घुसपैठ रोधी ग्रिड बनाए गए। ये ग्रिड सभी पास समेत घुसपैठ के रास्तों को कवर करते हैं।

सेना की तैनाती की ताकत तीन गुना से अधिक हो गई है

एक अधिकारी ने कहा, "पास और घाटियों के आसपास तैनाती में गैप को भर दिया गया है। यहां तक ​​​​कि उन क्षेत्रों को भी सुरक्षित कर लिया गया है जहां से घुसपैठिए आए थे। एलओसी के माध्यम से संभावित दुश्मन प्रवेश बिंदुओं पर माइन बिछाई गई हैं।"

सर्दियों के दौरान  पोस्ट खाली नहीं की जाती हैं

सेना को सप्लाई राउंड में मदद करने के लिए एलओसी के पास कई हेलीपैड बनाए गए हैं। अब सीमा पर तैनात रहने वाले सैनिकों को अमेरिका से आने वाली विशेष विंटर क्लॉथिंग और जूते दिए जाते हैं उनके हाथों में सिग सौयर राइफल्स है और रहने के लिए भी नए तरीके के शेल्टर हैं। इन सुविधाओं की वजह से अब भारतीय सैनिक माइनस 45 डिग्री तापमान में भी पाकिस्तान और चीन से लगी अपनी पोस्ट पर लगातार ड्यूटी देते हैं। भारत की सेना टू फ्रंट वार के लिए पूरी तरह से तैयार है, यानि पाकिस्तान हो या चीन किसी भी मोर्चे पर, किसी भी परिस्थिति में, किसी भी वक्त भारत की सेना दुश्मन को करारा जवाब दे सकती है।

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